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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय देशों की यात्रा के दौरान इस बात पर फोकस किया कि भारत के दरवाजे वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए तेजी से खुल रहे हैं और ऐसे में वैश्विक उद्योगों और वैश्विक पूंजी के लिए भारतीय बाजार प्रत्येक दृष्टि से लाभप्रद हैं। उन्होंने कहा कि बहुत कम समय में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को मूर्तरूप दिया गया है और अब भारत यूरोपीय संघ के साथ एफटीए वार्ता में त्वरित प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि एक मई 2022 को भारत और यूएई के बीच एफटीए लागू हो गया है। एक मई को इस समझौते के अमल की शुरुआत करते हुए दोनों देशों के द्वारा एक-दूसरे को प्रतीकात्मक संकेत के तहत पहली खेप भेजी गई है। इस एफटीए के तहत मूल्य के लिहाज से यूएई ने भारत के 99 फीसदी निर्यात के अनुरूप अपने 97 फीसदी से अधिक शुल्कों पर समग्र शुल्क हटाई हैं। भारत के द्वारा यूएई को कपड़ा, आभूषण, फार्मा उत्पाद, मेडिकल उपकरण, फुटवीयर, चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प व खेलकूद के सामान, कीमती रत्न, मिनरल्स, खाद्य वस्तुएं जैसे मोटे अनाज, चीनी, फल और सब्जियां, चाय, मांस और समुद्री खाद्य, इंजीनियरिंग और मशीनरी, रसायन जैसे उत्पाद निर्धारित रियायतों पर भेजे जा सकेंगे। वहीं यूएई के द्वारा भारत को पेट्रो केमिकल्स, मेटल जैसे सेक्टरों के साथ सेवा से जुड़े कई सेक्टरों में रियायतें दी गई हैं। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इस एफटीए से यूएई के बाजार में अब किसी भी भारतीय फॉर्मा उत्पाद को आवेदन करने के 90 दिनों में शून्य शुल्क पर बिक्री की इजाजत मिल जाएगी। सेवा सेक्टर और डिजिटल ट्रेड को लेकर भी दोनों देशों में विशेष समझौता हुआ है। इस एफटीए से भारत और यूएई के बीच वस्तुओं का कारोबार 5 साल में दोगुना बढ़ाकर 100 अरब डॉलर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जो कि इस समय करीब 60 अरब डॉलर है। साथ ही सेवाओं का व्यापार 15 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद है। इस समय यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा निर्यात केंद्र है।