सम्पादकीय

मुक्त व्यापार समझौतों से नई उम्मीदें

Rani Sahu
15 May 2022 7:05 PM GMT
मुक्त व्यापार समझौतों से नई उम्मीदें
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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय देशों की यात्रा के दौरान इस बात पर फोकस किया कि भारत के दरवाजे वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए तेजी से खुल रहे हैं

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय देशों की यात्रा के दौरान इस बात पर फोकस किया कि भारत के दरवाजे वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए तेजी से खुल रहे हैं और ऐसे में वैश्विक उद्योगों और वैश्विक पूंजी के लिए भारतीय बाजार प्रत्येक दृष्टि से लाभप्रद हैं। उन्होंने कहा कि बहुत कम समय में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को मूर्तरूप दिया गया है और अब भारत यूरोपीय संघ के साथ एफटीए वार्ता में त्वरित प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि एक मई 2022 को भारत और यूएई के बीच एफटीए लागू हो गया है। एक मई को इस समझौते के अमल की शुरुआत करते हुए दोनों देशों के द्वारा एक-दूसरे को प्रतीकात्मक संकेत के तहत पहली खेप भेजी गई है। इस एफटीए के तहत मूल्य के लिहाज से यूएई ने भारत के 99 फीसदी निर्यात के अनुरूप अपने 97 फीसदी से अधिक शुल्कों पर समग्र शुल्क हटाई हैं। भारत के द्वारा यूएई को कपड़ा, आभूषण, फार्मा उत्पाद, मेडिकल उपकरण, फुटवीयर, चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प व खेलकूद के सामान, कीमती रत्न, मिनरल्स, खाद्य वस्तुएं जैसे मोटे अनाज, चीनी, फल और सब्जियां, चाय, मांस और समुद्री खाद्य, इंजीनियरिंग और मशीनरी, रसायन जैसे उत्पाद निर्धारित रियायतों पर भेजे जा सकेंगे। वहीं यूएई के द्वारा भारत को पेट्रो केमिकल्स, मेटल जैसे सेक्टरों के साथ सेवा से जुड़े कई सेक्टरों में रियायतें दी गई हैं। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इस एफटीए से यूएई के बाजार में अब किसी भी भारतीय फॉर्मा उत्पाद को आवेदन करने के 90 दिनों में शून्य शुल्क पर बिक्री की इजाजत मिल जाएगी। सेवा सेक्टर और डिजिटल ट्रेड को लेकर भी दोनों देशों में विशेष समझौता हुआ है। इस एफटीए से भारत और यूएई के बीच वस्तुओं का कारोबार 5 साल में दोगुना बढ़ाकर 100 अरब डॉलर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जो कि इस समय करीब 60 अरब डॉलर है। साथ ही सेवाओं का व्यापार 15 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद है। इस समय यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा निर्यात केंद्र है।

उल्लेखनीय है कि पिछले माह 2 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की उपस्थिति में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री डैन तेहान के द्वारा भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर भी आभासी समारोह में हस्ताक्षर किए गए हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दस साल तक हुई मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच संतुलित और न्यायसंगत अंतरिम व्यापार समझौता हुआ है। ज्ञातव्य है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया एफटीए के लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का करीब 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का करीब 85 फीसदी निर्यात शुल्क मुक्ति के साथ किया जा सकेगा। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, चमड़ा, कृषि और मत्स्य उत्पाद, इलेक्ट्रिक सामान, आभूषण को ऑस्ट्रेलिया में शुल्क मुक्त पहुंच मिल सकेगी। चूंकि हमारे प्रतिस्पर्धी बांग्लादेश का ऑस्ट्रेलिया के साथ पहले एफटीए है और उसे बेहद कम विकसित देश होने के कारण 5 प्रतिशत का लाभ मिलता है, जो भारत को नहीं मिलता। ऐसे में अब नए समझौते से शुल्क मुक्ति के कारण भारत को हो रहे नुकसान को भी कम करने में मदद मिलेगी और भारत प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाकर ऑस्ट्रेलिया में निर्यात बढ़ा सकेगा। दूसरी तरफ भारत ने ऑस्ट्रेलिया के लिए जिन सामानों पर शून्य शुल्क की पेशकश की है, उनमें मुख्य रूप से कच्ची सामग्री, कोयला, खनिज और मध्यवर्ती सामान शामिल है। भारत ने ऑस्ट्रेलियाई शराब पर ड्यूटी कम करने पर सहमति जताई है। वस्तुतः भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए नए मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार को करीब 27 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचाए जाने में मदद मिलेगी।
सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (एसईपीसी) के मुताबिक भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए एफटीए से दूरसंचार, कम्प्यूटर, यात्रा, अनुसंधान, विकास पेशेवर तथा प्रबंधन परामर्श सेवाओं जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच वर्तमान 1.9 अरब डॉलर का सेवा निर्यात आगामी पांच वर्ष में बढ़कर पांच अरब डॉलर होने का अनुमान है। निःसंदेह भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए को मूर्तरूप दिए जाने के बाद अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं सुकूनदेह हैं। ये ऐसे देश हैं जिनके साथ एफटीए भारत के लिए अधिक लाभप्रद हैं। साथ ही ये ऐसे देश हैं, जिन्हें भारत के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की जरूरत है और ये देश भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे भी खोलने के लिए उत्सुक हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक मुफ्त व्यापार समझौतों से भारतीय कृषि उत्पादों की पहुंच दुनिया के एक बहुत बड़े बाजार तक विस्तृत हो सकेगी और कृषि उत्पाद विदेशी मुद्रा की अधिक कमाई का आधार भी बन सकेंगे। निश्चित रूप से भारत की चीन के प्रभुत्व वाले बड़े क्षेत्रीय व्यापारिक समझौतों से जुड़ने की बजाय प्रमुख देशों के साथ एफटीए की नीति लाभपूर्ण दिखाई दे रही है। ज्ञातव्य है कि भारत ने विगत 15 नवंबर 2020 को अस्तित्व में आए दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसेप) में भारत ने अपने आर्थिक व कारोबारी हितों के मद्देनजर शामिल होना उचित नहीं समझा था और फिर आरसेप से दूरी के बाद एफटीए की डगर पर आगे बढ़ने की नई सोच विकसित की।
इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि हाल ही के वर्षों में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत विश्व व्यापार वार्ताओं में जितनी उलझनें खड़ी हुई हैं, उतनी ही तेजी से विभिन्न देशों के बीच एफटीए बढ़ते गए हैं। एफटीए ऐसे समझौते हैं जिनमें दो या दो से ज्यादा देश वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात-निर्यात पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सबसिडी और कोटा आदि संबंधी प्रावधानों में एक-दूसरे को तरजीह देने पर सहमत होते हैं। भारत ने एफटीए के ऐसे ही फायदों को मुठ्ठियों में लेने के लिए एफटीए की तरफ तेजी से कदम बढ़ाए हैं। हम उम्मीद करें कि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बदली हुई वैश्विक व्यापार व कारोबार की पृष्ठभूमि में भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए को मूर्तरूप देने के बाद अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ तेज गति से एफटीए वार्ताओं को पूरा करके एफटीए को शीघ्रतापूर्वक लाभप्रद आकार दिया जाएगा। हम उम्मीद करें कि एफटीए देश के वैश्विक व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
डा. जयंतीलाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री


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