सम्पादकीय

टीकाकरण का नया इतिहास

Rani Sahu
12 Aug 2021 6:12 PM GMT
टीकाकरण का नया इतिहास
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सात अगस्त 2021 को भारत ने कोरोना को परास्त करने की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 50 करोड़ वैक्सीनेशन का आंकड़ा पार कर लिया है

जगत प्रकाश नड्डा | सात अगस्त 2021 को भारत ने कोरोना को परास्त करने की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 50 करोड़ वैक्सीनेशन का आंकड़ा पार कर लिया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज गति से चलने वाला टीकाकरण कार्यक्रम है। तमाम अवरोधों के बावजूद यह उपलब्धि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति, कोरोना वॉरियर्स के लगन और वैज्ञानिकों व उद्यमियों के साहसिक प्रयास का परिचायक है। आज पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है कि भारत ने इतने कम समय में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कैसे की?

यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच का नतीजा था कि देश में केवल नौ महीने में एक नहीं, बल्कि दो-दो मेड इन इंडिया कोविड वैक्सीन बनकर तैयार हुई और वैज्ञानिक तरीके से इसका उपयोग शुरू हुआ। इतने विशाल देश में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। 16 जनवरी, 2021 को प्रधानमंत्री ने दुनिया के सबसे बडे़ टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की थी। देश को टीकाकरण में पहले 10 करोड़ का आंकड़ा छूने में 85 दिन लगे थे, लेकिन इसके बाद इसमें तेजी आती गई। अनिवार्य लाइसेंसिंग की प्रक्रिया आसान की गई। कोविशील्ड और कोवैक्सीन के साथ-साथ स्पूतनिक का भी देश में उत्पादन शुरू हुआ। इसी 7 अगस्त को जॉनसन ऐंड जॉनसन की कोविड वैक्सीन को भी मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री लगातार निगरानी करते रहे और इसका परिणाम हुआ कि 10 करोड़ से 20 करोड़ का आंकड़ा पार करने में भारत को महज 45 दिन लगे। इसी तरह 20 से 30 करोड़ तक पहुंचने में सिर्फ 29 दिन, 30 से 40 करोड़ तक पहुंचने में 24 दिन और 40 करोड़ से 50 करोड़ वैक्सीन डोज में सिर्फ 20 दिन लगे। यह आंकड़ा निस्संदेह मील का पत्थर है, लेकिन हम इस गति को बनाए रखेंगे और इस वर्ष के अंत तक हरेक देशवासी को वैक्सीनेट करने में सफल होंगे।
इतनी बड़ी आबादी को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराना भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इस साल के अंत तक हमारे पास लगभग 136 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध होंगे। अगस्त में लगभग 25.65 करोड़, सितंबर में 26.15 करोड़, अक्तूबर में कुल 28.25 करोड़, नवंबर में 28.25 करोड़ और दिसंबर में 28.5 करोड़ खुराक का उत्पादन होने वाला है। अन्य वैक्सीन को मान्यता देने की प्रक्रिया भी सरल बनाई गई है।
एक ओर, प्रधानमंत्री देश के 135 करोड़ लोगों की रक्षा के लिए दिन-रात काम कर रहे थे, टीकाकरण कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से लागू कर रहे थे, वहीं विपक्ष नकारात्मकता फैलाने में लगा था और दुष्प्रचार के जरिए जनता को गुमराह कर रहा था। कभी वैक्सीन की गुणवत्ता पर सवाल उठाया गया, तो कभी इसके साइड इफेक्ट को लेकर दुष्प्रचार किया गया। देशवासियों को गिनी पिग्स, लैब रैट्स और न जाने क्या-क्या कहा गया?
संसद के मौजूदा मानसून सत्र में जब प्रधानमंत्री ने कोविड और वैक्सीनेशन पर सर्वदलीय बैठक बुलाई, तब कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टी के नेता इस बैठक में आए ही नहीं। इससे पहले भी जब-जब वैक्सीन को लेकर बैठक बुलाई गई, तो कभी छत्तीसगढ़ और बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में शामिल नहीं होते, तो कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री रणनीतिक बैठक को सार्वजनिक कर देते हैं। कभी झारखंड के मुख्यमंत्री बैठक को लेकर बयान देते हैं, तो कभी पंजाब और राजस्थान की कांग्रेसी सरकारों का अनर्गल प्रलाप होने लगता है। यही अपने आप में कहने के लिए काफी है कि विपक्ष ने किस तरह भारत के टीकाकरण कार्यक्रम को पटरी से उतारने की कोशिश की। प्रधानमंत्री ने देश के कोरोना वॉरियर्स की लगातार हौसला अफजाई की। उन्हीं की प्रेरणा से भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य स्वयंसेवक प्रशिक्षण अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान से कोविड से लड़ रही हमारी हेल्थ सेक्टर की फ्रंटलाइन फोर्स को नई ऊर्जा भी मिलेगी और 'मेरा बूथ-कोरोना मुक्त' अभियान भी सफल होगा। अब तक इस अभियान के तहत लगभग डेढ़ लाख स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
कोरोना वायरस महामारी के दौरान हमारे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने मानवता की जो सेवा की है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी। ऐसी कई कहानियां हैं, जब हमारे कोरोना वॉरियर्स ने अपनी जान की परवाह न करते हुए भी कोरोना पीड़ित लोगों की सेवा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कई महिला डॉक्टरों व नर्सों ने मानवता की सेवा के लिए अपनी ममता की कोख को भी दांव पर लगा दिया। कई तो महीनों अपने परिवार से नहीं मिल पाए। उनके लिए मरीजों की बेहतरी ही लक्ष्य बन गया। कोरोना से मुक्त होने के बाद जब मरीजों के चेहरे पर मुस्कान खिलती, तो उनमें उन्हें आत्मसंतोष मिलता था। ऐसे सभी डॉक्टर्स, नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों एवं इस व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में लगे फ्रंटलाइन वर्कर्स को मैं नमन करता हूं। उन्होंने हर देशवासी में यह जज्बा भरा कि चुनौती कितनी ही कठिन क्यों न हो, लेकिन अगर देशवासी ठान लें, तो हर चुनौती को परास्त किया जा सकता है।
हम सब जानते हैं कि पहले टीका भारत आने में कितने-कितने साल लग जाते थे। देश में जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीन आने में वर्षों लग गए थे। इसी तरह, पोलियो और टिटनेस की वैक्सीन दुनिया में आने के कई साल बाद भारत आ पाई थी। विदेश में टीके का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे देश में टीके का काम शुरू भी नहीं हो पाता था। इस बार दुनिया आश्चर्यचकित रह गई कि जो भारत वैक्सीन के लिए दुनिया के अन्य देशों पर आश्रित रहा करता था, उसने कैसे न केवल विश्वस्तरीय वैक्सीन विकिसत की, बल्कि इस कार्यक्रम को देश में सफलतापूर्वक लागू भी किया, बल्कि संकट के समय दुनिया के अन्य देशों की मदद भी की। आज से पहले भारत के बारे में शायद ऐसी कल्पना भी न की जा सकती थी। यह हमारे नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति, दूरदर्शिता और देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है, जो हरेक भारतवासी के लिए सुरक्षा कवच के रूप में काम कर रहा है। हम न रुकेंगे, न थकेंगे और इसी जज्बे व लगन के साथ टीकाकरण को गति देंगे। हम इस वर्ष के अंत तक देश के हर नागरिक के टीकाकरण के लक्ष्य को साकार करने में जरूर सफल होंगे।


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