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- राजनीति के नए मुखौटे
तीव्रता से राजनीति अब आंदोलन या एनजीओ की तर्ज पर सत्ता का रास्ता चुन रही है और राष्ट्रीय स्तर पर सफलता-असफलता के बीच पैगाम बदलने लगे हैं। इसी संदर्भ में आगामी चुनावों की सुगबुगाहट के बीच, हिमाचल में भी सियासत के रंग बदल सकते हैं। अपने तजुर्बों को नई परिभाषा देती आप पार्टी ने 'पंजाब मॉडल' को हिमाचल की तरफ सरका दिया है, तो भाजपा भी अपनी सत्ता के पैगाम ऊंचे कर रही है। ऐसे में कांग्रेस ने सड़क को चुना है और सीधे आंदोलनों की शुमारी में एकजुटता का उद्घोष कर रही है। आप की मंडी रैली का जवाब भाजपा हर विधानसभा क्षेत्र में एक साथ कई रैलियों से देगी। यह परिदृश्य गजब की अनुभूतियों और चुनौतियों का दिखाई देता है। आप की पंजाब सरकार ने ऐसे विषय चुनने शुरू कर दिए हैं जो आम जनमानस को उद्वेलित करते हुए उन्हें वैकल्पिक सियासत के जहाज पर चढ़ा दें। विधायकों की पंेशन को एक पैमाने में डालने के बाद भगवंत मान ने अब निजी स्कूलों में फीस बढ़ाने पर एक तरह से रोक लगा दी है। शिक्षा क्षेत्र में सुधार की बड़ी चिडि़या पकड़ने से पहले जिस तरह निजी स्कूलों के नक्षत्र बदलने का फरमान जारी हुआ है, इसे क्रांतिकारी मानने वालों का एक बड़ा वर्ग तैयार होगा और यह फैसला हिमाचल में भी असर बनाएगा। ऐसे फैसलों से आप का राजनीतिक जादू आम जनमानस को आंदोलित कर सकता है।
क्रेडिट बाय दिव्यहिमाचल