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- भारतीय राजनीति का नया...
इस समय भारतीय राजनीति का नया दौर चल रहा है। मंदिर व धर्म के मुद्दे पर लगातार 30 साल से ज्यादा समय तक भाजपा के राजनीति करने और आरक्षण की राजनीति में तीन दशक बाद आई थकान के बाद यह दौर आना स्वाभाविक था। पिछले करीब तीन दशक में अस्मिता की राजनीति पूरे देश में एक समान रूप से स्थापित हो गई है। यह स्वीकार कर लिया गया है कि जिसकी संख्या भारी है उसकी हिस्सेदारी भी भारी होगी।
मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद इसकी शुरुआत हुई थी और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के सात साल के बाद यह चक्र पूरा हो गया है। पिछड़ी जाति के प्रधानमंत्री के बाद धीरे धीरे राज्यों में पिछड़ी जातियों के मुख्यमंत्रियों का वर्चस्व बन रहा है।
यह अनायास नहीं है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने वापसी की लेकिन राजस्थान में वसुंधरा राजे नहीं कर पाईं। यह भी अनायास नहीं है कि कमलनाथ की सरकार गिर गई लेकिन अशोक गहलोत अपनी सरकार बचा गए। यह देश में पिछड़ी जाति की राजनीति के मजबूती से जमने का एक छोटा सबूत है। बारीकी से देखने पर और भी बहुत सी बातें दिखाई देंगी, जो इस ओर इशारा करती हैं।