सम्पादकीय

परिवहन की नई परिभाषा

Rani Sahu
9 Sep 2021 6:56 PM GMT
परिवहन की नई परिभाषा
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इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ बढ़ते हिमाचल के लिए यह ऐसा मर्यादित आचरण भी है,

इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ बढ़ते हिमाचल के लिए यह ऐसा मर्यादित आचरण भी है, जो पर्वतीय महत्त्वाकांक्षा को सुखद परिणति की ओर ले जा सकता है। ऐसे में उद्योग एवं पर्यटन मंत्री द्वारा जो खाका बनाया जा रहा है, उसके परिणामों के प्रति जनसहयोग अभिलषित है। हिमाचल में परिवहन की नई परिभाषा व विकल्प समय की जरूरत हैं और इनमें से एक निश्चित रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिकतम उपयोग है। राष्ट्रीय नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा रहा है और इसके लिए उत्पादन लागत भी घटाई जा रही है। हिमाचल में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सर्वप्रथम राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतें ही कारगर सिद्ध हुईं और मनाली-रोहतांग मार्ग इन्हें प्रशस्त करने का मॉडल बना था। हालांकि इसके बाद प्रादेशिक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन के लिए रोडमैप बने और कुछ शहरों में तो बाकायदा छोटी गाडिय़ां चलाई भी गईं, लेकिन इससे कोई परिवर्तन नहीं आया। परिवहन मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर अब नई योजना व नई नीति के तहत फिर प्रदेश के फेफड़ों में जोश भर रहे हैं, तो देखना होगा कि सार्वजनिक व निजी स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति कैसा माहौल बनता है।

यह दो स्तरीय होगा, क्योंकि सर्वप्रथम सार्वजनिक परिवहन के लिए चिन्हित मार्गों पर आदर्श सेवा की शुरुआत हो सकती है। दूसरी ओर निजी वाहनों की ओर प्रेरित जनता को इलेक्ट्रिक विकल्प का सूत्रधार बनाने का प्रयत्न है। अभी तक निजी स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति रुझान न के बराबर है और यह वाहन निर्माताओं के प्रयास से ही प्रचारित हो रहे हैं। जाहिर है सरकार इनकी खरीद पर भी अधिकतम छूट दे सकती है और पंजीकरण इत्यादि के शुल्क को भी नियंत्रित कर सकती है। इलेक्ट्रिक वाहनों के निजी प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सर्वप्रथम दोपहिया गाडिय़ों पर केंद्रित वातावरण निर्मित करना होगा। बाजार में दोपहिया वाहनों की उत्साहजनक खेप व उस पर आधारित बिक्री का रुख दिखाई देने लगा है। हिमाचल में असली मसला वाहनों की बढ़ती तादाद और शहरी परिवहन का विकल्प बनते निजी वाहनों को लेकर है। हमें वाहनों पर केंद्रित नीति को एक सीमा तक बढ़ाना होगा, जबकि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए परिवहन के सार्वजनिक विकल्प पैदा करने होंगे। खासतौर पर एलिवेटिड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के जरिए यात्री एवं माल ढुलाई की दिशा में बढऩा होगा। प्रदेश में सीमेंट, सेब, नकदी फसलों तथा औद्योगिक माल की ढुलाई के कारण कई क्षेत्रों की परिवहन व्यवस्था को सुधारना मुश्किल हो रहा है। सड़कों पर वाहनों का बढ़ता दबाव कब तक इन्हें चौड़ा करने की सिफारिश करता रहेगा।
ऐसे में रज्जु मार्गों के द्वारा माल ढुलाई का राज्यव्यापी नेटवर्क स्थापित करने की जहां जरूरत है, वहीं स्काई बस या मोनो टे्रन जैसी परियोजनाओं का नक्शा बनाते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि अगले दशक में परिवहन सेवाओं का दस्तूर पूरी तरह बदलेगा। परिवहन की परिकल्पना में शहरी विकास मंत्रालय को भी अपनी भूमिका अंगीकार करनी होगी। प्रदेश में शहरीकरण की उत्कंठा में हर नागरिक अपनी जीवन शैली व उसके प्रदर्शन में उत्कृष्ट होने की इच्छा रखता है। ऐसे में शहरी क्लस्टरों के आधार पर सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था को नए सिरे से रूपांतरित करना होगा। दो से तीन शहरों के मध्य बस स्टैंड या महापार्किंग स्थापित करते हुए आगे का सफर रज्जु मार्गों या स्काई बस-मोनो टे्रन से सुनिश्चित करें तो ट्रैफिक के दबाव कम होंगे और पर्यटक व धार्मिक स्थलों पर सैलानियों का आगमन सुविधाजनक हो पाएगा। इसी के साथ नादौन में ट्रांसपोर्ट नगर का प्रस्ताव भी सराहनीय है, लेकिन परिवहन नगरों का राज्यव्यापी नक्शा बनाते हुए यह तय होना चाहिए कि सड़कों के किनारे वाहन वर्कशॉप न दिखाई दें तथा ट्रक व बसों की पार्किंग भी सुविधाजनक ढंग से हो जाए।

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