सम्पादकीय

भारतीय कूटनीति में मील का पत्थर साबित हो सकता है अमेरिका- इजरायल और यूएई के साथ नया गठजोड़

Nidhi Markaam
22 Oct 2021 12:40 PM GMT
भारतीय कूटनीति में मील का पत्थर साबित हो सकता है अमेरिका- इजरायल और यूएई के साथ नया गठजोड़
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अमेरिका, इजरायल और यूएई के साथ मिलकर भारत इस नए गठजोड़ के तहत अब मध्य पूर्व एशिया (Middle East Asia) में बनते नए राजनीतिक परिदृश्य में अपनी बड़ी भूमिका निभाएगा

मध्य एशिया में इस वक्त कई ऐसे घटनाक्रम घट रहे हैं जो भारत के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. चाहे वह अफगानिस्तान में तालिबान का शासन हो या फिर चीन का बढ़ता प्रभुत्व. यही वजह है कि भारत अब एक नई तरह की रणनीति और साझेदारी बनाने के लिए आगे आ रहा है. इस नई रणनीति को कुछ लोग 'न्यू क्वॉड' (New Quad) का भी नाम दे रहे हैं. दरअसल सोमवार को अमेरिका, भारत, इजरायल और यूएई ने पूरी दुनिया के सामने अपनी नई साझेदारी का खाका पेश किया. इस मीटिंग में इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया और यह मीटिंग सोमवार रात से मंगलवार सुबह तक चली.

इस बैठक में इन देशों ने फिलहाल एक साथ आर्थिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया. हालांकि आगे हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक साथ आने पर भी ये देश आगे बढ़ेंगे. भारत के नजरिए से सबसे खास बात यह रही की इस गठजोड़ ने आर्थिक सहयोग पर एक अंतरराष्ट्रीय फोरम बनाने का ऐलान किया. जो भविष्य में भारत में व्यापार के नए अवसर जरूर ला सकती है. सबसे बड़ी बात की इस गठजोड़ का एजेंडा भी कुछ हद तक हिंद प्रशांत क्षेत्र में चल रही समस्याओं पर केंद्रित है. इस वजह से यह गठजोड़ आने वाले समय में चीन की नाक में भी दम कर सकता है.
भारत के लिए कैसे फायदेमंद होगा यह नया गठजोड़
अमेरिका, इजरायल और यूएई के साथ मिलकर भारत इस नए गठजोड़ के तहत अब मध्य पूर्व एशिया में बनते नए राजनीतिक परिदृश्य में अपनी बड़ी भूमिका निभाएगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर की तेल अवीव यात्रा के दौरान इजरायल के विदेश सचिव एलोन उशपिज ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि 'हम इस पर जोर देना चाहते हैं कि मध्य पूर्व एशिया में बन रही नई परिस्थितियों में भारत का परिदृश्य कैसा रहेगा. हम कोशिश कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में उभर रहे नए अवसरों में भारत को कैसे शामिल किया जाए.'
भारत और इजराइल की मजबूत दोस्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री नेतन्याहू के समय से है. हालांकि इजरायल और भारत की दोस्ती दशकों से हैं, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद इन दोनों देशों की दोस्ती को एक नया आयाम मिला है. इजराइल के नए प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की सरकार के गठन के बाद यह पहली बार भारत के साथ उनकी उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है.
भारत इस नए क्वॉड में बैलेंस बना पाएगा
इजरायल, अमेरिका और यूएई इन तीनों देशों के लिए ईरान का मुद्दा बेहद खास है. उनकी नजर में ईरान उनके लिए एक वैश्विक चुनौती है. लेकिन भारत और ईरान के संबंध इतिहास के समय से मजबूत रहे हैं. जब अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाया था, तो उसके बाद भी भारत ईरान के संबंध जस के तस बने रहे थे. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर उन कुछ चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिन्होंने प्रतिबंध के बावजूद ईरान की यात्रा की थी. अब ऐसे में भारत के सामने एक बड़ा सवाल यह है कि वह इस तरह के किसी गठजोड़ में कैसे बैलेंस बनाकर आगे चलेगा, जिसका बहुमत हमेशा ईरान के खिलाफ होने वाला है.
दरअसल ईरान परमाणु संपन्न देश बनना चाहता है और इसके लिए वह तेजी से काम भी कर रहा है. वहीं अमेरिका और इजराइल नहीं चाहते कि ईरान परमाणु संपन्न देश बने. इस वजह से समय-समय पर ईरान पर प्रतिबंध भी लगाए जाते रहे हैं.
वैश्विक रूप से भारत मजबूत होगा
मध्य पूर्व एशिया में स्थिती जिस तरह के हालात हैं, उनमें कहीं ना कहीं चीन लोड लेने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में अमेरिका जानता है कि चीन को अगर कोई देश एशिया में रोक सकता है तो वह सिर्फ भारत है. भारत, अमेरिका, यूएई और इजराइल का यह नया गठबंधन भारत और खाड़ी देशों के बीच रिश्तो को भी नई मजबूती देगा. भारत को मालूम है कि अगर एशिया में अपनी स्थिति मजबूत करनी है तो खाड़ी देशों को साथ लेकर चलना होगा. इसके साथ ही इस नए गठजोड़ की वजह से इजराइल और अरब देशों के बीच नया सामंजस्य भी बनेगा. यही वजह है कि यूएई और बहरीन ने भी अब इजराइल को कूटनीतिक मान्यता दे दी है.
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