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आदित्य नारायण चोपड़ा; देश की दूसरी सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेस एग्जामिनेशन यूजी (सीयूईटी) आज से शुरू हो गई है। यह परीक्षा देश और देश से बाहर 510 से अधिक परीक्षा केन्द्रों पर शुरू हुुई। सीयूईटी के लिए करीब 14.9 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया है। राष्ट्रीय परीक्षा एजैंसी (एनटीए) ने इस परीक्षा को लेकर पूरी तैयारियां की हैं। यह परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जा रही है। जिसमें पहले स्लॉट में करीब 8.1 लाख उम्मीदवार और दूसरे में 6.80 लाख उम्मीदवार हैं। जिन बच्चों ने फिजिक्स, कैमिस्ट्री साइंस, बायोलॉजी का विकल्प चुना है उनकी परीक्षा दूसरे चरण में होगी। मार्च में इस बात की घोषणा की गई थी कि देश के सभी 45 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए यूईटी के अंक जरूरी होंगे, 12वीं कक्षा के अंक नहीं। हालांकि केन्द्रीय विश्वविद्यालय अपनी तरफ से कुछ न्यूनतम पात्रता तय कर सकते हैं। इस घोषणा के बाद बहुत से छात्रों में कई आशंकाएं बैठ गईं। परीक्षा बोर्ड की हो या फिर भर्ती इम्तिहान हो ज्यादातर सुनने में आता है कि पेपर लीक हो गया है या फिर परीक्षा के प्रश्नपत्र में ऐसा सवाल पूछा जाता है कि जिस पर विवाद खड़ा हो जाता है। देश में परीक्षा होने से पहले ही पहेली बनकर छात्र-छात्राओं को उलझाती रही है। आज परीक्षाएं शुरू होने के बाद परीक्षा देने वाले लाखों छात्रों की आशंकाएं खत्म हो गई होंगी कि परीक्षा की प्रणाली क्या है। नई शिक्षा नीति के तहत पहली बार हो रहे दाखिलों के लिए विद्यार्थियों ने भारी संख्या में आवेदन किए हैं। छात्रों के पेपरों के कम्बीनेशन भी अलग-अलग हैं। विषयों की अधिक संख्या को देखते हुए प्रत्येक आवेदक के लिए खास डेटशीट बनाई गई है। इस परीक्षा प्रणाली को लेकर बहुत से सवाल भी उठते रहे हैं। अनेक शिक्षाविदों का यह कहना है कि इस परीक्षा से स्कूली शिक्षा का महत्व ही खत्म हो जाएगा। शिक्षाविद् यह भी मानते हैं कि अब यूनिवर्सिटी में दाखिलों के लिए स्कूली परीक्षाओं का कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा, बल्कि सीयूईटी में ही बच्चों को अंक लाने होंगे। छात्रों के मन में दाखिलों को लेकर कई सवाल थे। लेकिन दाखिलों को लेकर सवालों का निराकरण दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति योगेश सिंह ने कर दिया है। उन्होंने छात्रों की आशंकाओं का काफी हद तक निपटारा कर दिया है। अब यदि दो छात्रों का सीयूईटी स्कोर समान है तो कक्षा 12वीं के अंक सीट आवंटन के लिए टाई ब्रेकर के रूप में काम करेंगे। ऐसी स्थिति में छात्रों के मार्क्स के आधार पर इन्हें दाखिला दिया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर हो रही इस परीक्षा के माध्यम से 12वीं पास छात्रों को सिंगल विंडो के जरिये देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में दाखिला लेने का अवसर मिलेगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस बार 30 फीसदी अतिरिक्त छात्रों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। यह प्रक्रिया आरक्षित सीट को भरने में मदद करेगी जो साल भर खाली रह जाती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय पहले चरण में ही अधिकतम सीट भरने के लिए अनारक्षित, अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेणी में 20 प्रतिशत अतिरिक्त और एससी/एसटी श्रेणी में 30 प्रतिशत अधिक दाखिला दिया जाएगा। इस वर्ष दिल्ली यूनिवर्सिटी सांझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए अपने कागजों में स्नातक की 70,000 सीट की पेशकश करेगा। पिछले साल तक यूनिवर्सिटी छात्रों के 12वीं की परीक्षा के अंकों के आधार पर कट ऑफ जारी किया करता था। संपादकीय :'आदमी' से 'इंसान' होना जरूरीलोकतन्त्र में लावारिस विपक्षऋषि सुनक : सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानीभारत का सामर्थ्यश्रीलंका : सिंहासन खाली करो...वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब फेसबुक पेज की धूमदिल्ली विश्वविद्यालय के कालेजों में कट ऑफ लिस्ट जारी होने के बाद आपाधापी मच जाती थी क्योंकि कई कालेजों की कट ऑफ पहली ही लिस्ट में 100 प्रतिशत तक पहुंच जाती थी क्योंकि राजधानी में देशभर के छात्र दाखिला लेते हैं। इसलिए कुछ प्रतिशत कम अंक लाने वाले छात्र दाखिलों से वंचित रह जाते थे। इसके बाद दिल्ली के छात्र निजी कालेजों की तरफ दौड़ते थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि निजी कालेज शिक्षा के बहुत बड़े शोरूम बन चुके हैं। प्राइवेट कालेजों में सीट प्राप्त करने के लिए भीतर खाते धन खर्चना ही पड़ता है। अब देखना यह है कि साझा परीक्षा के बाद दाखिलों की व्यवस्था में क्या सुधार आता है। यद्यपि यह व्यवस्था की गई है कि दो छात्रों के बीच बराबरी होने की स्थिति में सर्वश्रेष्ठ तीन विषयों की तुलना की जाएगी। यदि यह भी समान रहा तो सर्वश्रेष्ठ चार विषयों की तुलना की जाएगी। वहीं सर्वश्रेष्ठ पांच विषयों के अंक समान रहने पर उम्र के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। अधिक उम्र के उम्मीदवार को प्राथमिकता दी जाएगी या फिर 12वीं के अंक के आधार पर प्राथमिकता वाला पाठ्यक्रम आवंटित किया जाएगा। कोई भी व्यवस्था या नियम तभी सार्थक रहता है जब वह छात्रों की कसौटी पर खरा उतरे। देखना यह होगा कि किसी छात्र के साथ अन्याय न हो।