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जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत को नेट जीरो बनाने का एलान कर सबको चौंका दिया
नेट जीरो का मतलब वह समयसीमा है, जब तक कोई देश कार्बन उत्सर्जन को बिल्कुल खत्म कर देगा। गोयल ने कहा था कि ये लक्ष्य विकसित देशों को घोषित करना चाहिए, जिन्होंने विकास का फल चख लिया है और इस क्रम में उन्होंने धरती के जलवायु को भारी क्षति पहुंचाई है।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत को नेट जीरो बनाने का एलान कर सबको चौंका दिया। इस पर हैरत इसलिए हुई, क्योंकि कुछ ही रोज पहले कॉप-26 (यानी जलवायु परिवर्तन पर संधि से संबंधित पक्षों के 26वें सम्मेलन) के लिए भारत के मुख्य प्रतिनिधि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जो कहा था कि उसका यह निष्कर्ष निकाला गया था कि भारत अभी नेट जीरो के लिए तैयार नहीं है। नेट जीरो का मतलब वह समयसीमा है, जब तक कोई देश कार्बन उत्सर्जन को बिल्कुल खत्म कर देगा। गोयल ने कहा था कि ये लक्ष्य विकसित देशों को घोषित करना चाहिए, जिन्होंने विकास का फल चख लिया है और इस क्रम में उन्होंने धरती के जलवायु को भारी क्षति पहुंचाई है। भारत और अन्य विकासशील देश अभी विकास की प्रक्रिया में हैँ। इसलिए वहां कार्बन का उत्सर्जन स्वाभाविक रूप से अभी लंबे समय तक होगा। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर भारत की नीति बदल गई, तो सरसरी तौर पर उसका स्वागत किया जाना चाहिए।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया को 2060 तक नेट जीरो बनाने का सुझाव दिया है, लेकिन भारत ने उससे दस साल अधिक समय लेने का एलान किया है। इसके बावजूद भारत की इस घोषणा ने देश की एक सकारात्मक छवि बनाई है। बहरहाल, इसके साथ ही इस दिशा में भारत की तैयारियों के परीक्षण का रास्ता खोल दिया है। अब दुनिया की निगाह इस पर रहेगी कि 2070 तक इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत क्या कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बारे में क्रमबद्ध लक्ष्य दुनिया को बताए। लेकिन देश के अंदर जिस समय पर्यावरण कानूनों को बेअसर कर दिया गया है और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की प्रक्रिया तेज की जा रही है, उस वक्त इन लक्ष्यों को हासिल करना आसान नहीं है। आखिर नेट जीरो को हासिल करना एक महंगा लक्ष्य है। इसके लिए ऊर्जा उत्पादन के तरीकों में बदलाव के साथ-साथ ऊर्जा उपभोग की आदतों को भी बदलना होगा। ग्रीन टेक्नोलॉजी में बड़े निवेश की मांग उठेगी। परिवहन के माध्यमों में बड़े बदलाव की जरूरत होगी। वर्तमान जंगलों की रक्षा के साथ-साथ बड़े पैमाने पर वनीकरण की जरूरत होगी। जाहिर है, इन सबकी सरकार के पास क्या योजना और बजट है, अब देश के साथ-साथ दुनिया की भी दिलचस्पी अब यह देखने में होगी।
नया इण्डिया
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