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- व्यवस्था को जवाबदेह...
आज यदि देश में भ्रष्टाचार की बात करें तो लगता है कि ईमान किसी कोने में सहम कर बैठा है और बेईमानी मदमस्त होकर किसी चौराहे पर नृत्य कर रही है। कहा जा सकता है कि पहले दाल में काला था, अब काले में दाल है और कमाल ये है कि देश फिर भी चल रहा है। किसी ने क्या खूब कहा है-'यहां तहजीब बिकती है, यहां फरमान बिकते हैं, जरा तुम दाम तो बोलो यहां ईमान बिकते हैं।' देश 1947 में आज़ाद हो गया, परंतु भ्रष्टाचार के बाहुपाश से आज़ाद नहीं हो पाया है। आजकल चर्चा है थाना नादौन के निलंबित उन साहिब की जो 25 हज़ार की रिश्वत लेकर विजिलेंस को रौंदने का प्रयास करते हुए फरार हो गए। साहिब की गाड़ी बरामद है और खबर है कि साहिब की गाड़ी से बरामद हुआ है नौजवान पीढ़ी को बर्बाद करने वाला चिट्टा। बहरहाल थानेदार साहब नदारद ही हैं। सदर थाना रहे हैं, तो जाहिर है कानूनी दांवपेंच तो बखूबी जानते होंगे और कानून से फिलहाल बचने का कुछ कानूनी नुस्खा खोज रहे होंगे। जिस साहब के पास लोग जुर्म की शिकायत करने जाते हैं, कानून की हिफाज़त करने वाले वही साहिब आज कानून की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। खैर ये बात नई नहीं है। अगस्त 2019 में इनसे बड़े साहिब जवाली के डीएसपी को भी विजिलैंस ने 50 हज़ार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। दिमाग पर ज़रा सा ज़ोर और डालें तो गुडि़या कांड स्मरण हो आता है जिसमें इन साहिबों के बड़े साहिब भी…। वैसे ये बात अब किसी एक विभाग की नहीं रही। हाल ही में विजिलेंस विभाग की टीम ने जि़ला कांगड़ा में एक पटवारी को एक व्यक्ति से जमीन की निशानदेही और खानगी तकसीम करवाने की एवज में 15 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था।