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- सौर ऊर्जा उत्पादन को...
तेजी से होते जलवायु परिवर्तन ने सबकी नींद चुरा ली है। विश्व के सभी देश पिछले कई सालों से जलवायु परिवर्तन को समझने और इसके प्रभावों को कम करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। यह समस्या इतनी आसानी से सुलझने वाली नहीं है। इस सबमें यह जरूरी हो जाता है कि हम ऊर्जा का उत्पादन ऐसे साधनों से करें जिससे प्रदूषण कम से कम हो, प्राकृतिक सम्पदा जैसे पेड़-पौधे या पानी का दुरुपयोग न हो। प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लास्गो में अपने भाषण के दौरान कहा, 'धरती पर सूरज के बढ़ते ताप से लड़ने में सूरज की ही रोशनी बड़ा हथियार बनेगी। सौर ऊर्जा के बेहतर प्रयोग से जीवाश्म ईंधनों के प्रयोग को कम करना संभव है। एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड की संकल्पना इस दिशा में ऐतिहासिक परिणाम दे सकती है।' हिमाचल के अधिकतर भाग सारा साल सूरज की ऊर्जा में रहते हैं। यूं तो हिमाचल के सभी गांवों में 1988 में ही पूर्ण रूप से बिजली आ गई थी और 24 घंटे निवासियों को निरंतर बिजली मिलती रही। हिमाचल में बिजली सबसे सस्ती भी है। हिमाचल में बहुत सी जल विद्युत ऊर्जा योजनाएं हैं जिनमें अधिकतर निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा चलाई जा रही हैं। पन बिजली परियोजनाओं से नदियों के पानी का प्रयोग कर बिजली का उत्पादन किया जाता है, लेकिन सौर ऊर्जा से बिजली आ सकती है। यही नहीं, प्रदेश में सौर ऊर्जा बड़ी मात्रा मीलों फैले पहाड़ हैं, उन पर सौर ऊर्जा फार्म बनाए जा सकते हैं। लोग अपनी बंजर ज़मीनों पर या कम उपजाऊ जमीनों पर भी सोलर फार्म बना सकते हैं। राजस्थान के कई इलाकों में बहुत से और ऊर्जा फार्म लगाए गए हैं। हिमाचल में घरों की छतों पर सोलर पैनल लगा कर अपने घर की बिजली की ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है। हालांकि हिमाचल में यह काम हो भी रहा है, बहुत से घरों और गली-मुहल्लों में आपको सोलर पैनल मिल जाएंगे। लगाने के लिए सरकार द्वारा 10 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था है। एक मेगावॉट बिजली का उत्पादन करने के लिए 5 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है और पांच मेगावाट के लिए करीब 25 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी, जिन पर फोटोवाल्टिक पैनल लगाए जाएंगे एवं एक ग्रिड होगी जहां पर बिजली जमा होगी। फिर उसका वितरण होगा