सम्पादकीय

परीक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत

Rani Sahu
2 Nov 2021 7:00 PM GMT
परीक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत
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इस समय हमारी शिक्षा प्रणाली कुछ खास समस्याओं का सामना कर रही है

इस समय हमारी शिक्षा प्रणाली कुछ खास समस्याओं का सामना कर रही है जिनमें से एक समस्या पुरानी और कमजोर परीक्षा प्रणाली है। यह उस लंबे समय से है जब छात्र एक परीक्षा भवन में परीक्षा के लिए जाते थे और कम समय में परीक्षा देते थे तथा सभी छात्र परीक्षा में दिए गए प्रश्नों का अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ उत्तर देते थे और फिर परिणामों का इंतजार करते थे। अक्सर यह देखा गया है कि जो छात्र पूरे वर्ष अपनी परीक्षा की तैयारी करते हैं वे परीक्षा के दिन डरावनी उदासी का सामना करते हैं और फिर एक बार खराब परीक्षा हुई, जबकि इस प्रणाली से परीक्षार्थी अच्छे से परिचित हो जाता है और फिर मूल रूप से एक अच्छा परिणाम उसे मिलता है। इस समस्या को बदलने के लिए कई तरह की नई प्रणाली पर विचार और अमल हो रहे हैं जैसे कि मध्य अवधि या सेमेस्टर परीक्षाएं और यूनिट परीक्षण। ये सभी प्रणालियां बेहतर हैं क्योंकि यह छात्रों को हल्की अनुसूची प्रदान करती हैं, जो उन्हें जीवन के अन्य क्षेत्रों खेल और बाहरी गतिविधियों जैसे कि संगीत या कला क्षेत्र में जाने के अवसर प्रदान करता है, जहां उनकी मुख्य प्रतिभा उन्नत होती है। हालांकि इसके साथ बड़ी समस्या यह है कि यह छात्रों को अच्छे अंक लाने के लिए अध्ययन और पाठ्यक्रम को कम समय में याद करने, और केवल अगली परीक्षा तक याद रखने के लिए दबाव डालता है।

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को शिक्षित करना है और उन्हें उस ज्ञान के क्षेत्र में बेहतर और सराहना के पात्र बनाने में सहायता करना है और उनको इस लायक बनाया भी जा रहा है। एक ऐसी परीक्षा प्रणाली होनी चाहिए जिससे यह पता चले कि छात्रों को वास्तव में क्या सिखाया जा रहा है और वह उसे समझ पा रहे हैं या नहीं और वह उन्हें केवल कुछ दिनों या महीनों के लिए रटने में सक्षम न बनाता हो। वर्तमान में जो स्थिति है, उसमें बड़े बदलाव की आवश्यकता है। इसका एक तरीका प्रोजेक्ट या असाइनमेंट ज्यादा प्रभावशाली तरीके से उपयोग करना हो सकता है। एक ऐसी परीक्षा प्रणाली तैयार की जानी चाहिए जिसके अंतर्गत छात्रों को उन कार्यों को दिया जाता है जिन्हें वह घर पर पूरा कर सकते हैं और उन्हें कुछ दिनों में उस कार्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दिया जा सकता है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि छात्र अपने अध्ययन की गुणवत्ता को सुधारें और विफलता के लिए कोई भी बहाना या कारण बताना समाप्त करें। भविष्य में छात्रों को बहुत सारी चीजों को सिखाने के बजाय भविष्य के लिए तैयार करना महत्वपूर्ण है, जिसका वह वर्तमान में उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। हम छात्र को उस विषय का सुझाव दे सकते हैं जिसमें वह भविष्य में अध्ययन करके अपना भविष्य बना सकता है। हालांकि उन्हें कुछ समय दिया जाना चाहिए ताकि वह उचित निर्णय ले सकें।
इसके बारे में ग्रेड प्रणाली का सुझाव भी दिया जा सकता है जिसका अब तक छात्रों द्वारा उपयोग किया जाता रहा है। मुख्य विषयों के साथ वह अन्य विषयों का चयन भी कर सकते हैं जिन्हें लघु विषय माना जा सकता है। इसमें प्राप्त किए गए अंकों को अन्य विषय के अंकों के साथ जोड़ा जाना चाहिए जो कि परीक्षा में सफल होने के लिए आवश्यक होते हैं। इससे यह सुनिश्चित करने में आसानी होगी कि छात्र अपने पसंदीदा विषयों का अध्ययन आनंदपूर्वक कर रहे हैं और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन पर कोई अनुचित दबाव नहीं डाला जा रहा है। जैसे-जैसे समाज की विचारधाराओं में परिवर्तन होता चला गया, शिक्षा व्यवस्था व उसका स्वरूप भी परिवर्तित होता चला गया। जैसे ही शिक्षा के उद्देश्य परिवर्तित हुए तो उसी के आधार पर पाठ्यक्रम, शिक्षाविद, विधियां आदि सभी परिवर्तित हो जाते हैं। परीक्षा में सुधार क्यों जरूरी है? शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना होता है और सर्वांगीण विकास बालक के व्यवहार में प्रदर्शित होता है। इस विकास का मूल्यांकन करना आसान कार्य नहीं होता है। केवल अंक प्राप्त करने तथा ग्रेड लेकर कुछ गिने-चुने प्रश्नों के उत्तर देने से भी शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। समाज की बदलती आवश्यकताओं, विचारधाराओं तथा शिक्षा में सामंजस्य स्थापित करने के लिए परीक्षा सुधार की आवश्यकता है। पिछले कई दशकों से छात्रों का मूल्यांकन अंक प्रणाली द्वारा ही किया जाता था, जिससे परिणाम यह निकला कि छात्र केवल पुस्तकीय ज्ञान को रट कर केवल अंक प्राप्त करने की होड़ में लगे रहते थे।
इस खोज में कम अंक आने पर आत्महत्या जैसे अनुचित कदम उठाने लगे हैं। इस समस्या का स्वरूप धीरे-धीरे बढ़ने लगा। परीक्षाएं भी वर्ष के अंत में ली जाती थी तथा कुछ प्रश्नों के उत्तर पूछे लिए जाते थे और उन्हीं के आधार पर मूल्यांकन कर लिया जाता था। लेकिन इन प्रश्नों व कुछ अंकों को प्राप्त करके ही छात्र का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है। छात्र के अंदर निहित गुणों का विकास करना है। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए परीक्षा सुधार की आवश्यकता है। वर्तमान समय में शिक्षण प्रक्रियास परीक्षा एवं मूल्यांकन प्रणाली में उचित तालमेल की कमी दिखती है। कक्षा में जो छात्रों को सिखाया जाता है तथा जिस प्रकार से सिखाया जाता है, उसका परीक्षा से सीधा संबंध कम होता जा रहा है। इस तालमेल को ठीक से बनाए रखने के लिए सक्षम परीक्षा सुधार आवश्यक है। समय परिवर्तन होने के साथ-साथ पाठ्यक्रम भी परिवर्तित होते रहे हैं। पाठ्यक्रम में धीरे-धीरे अन्य पाठ्य सामग्री शामिल की जाने लगी है क्योंकि यह क्रियाएं बालक के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं। पाठ्यक्रम में अब विभिन्न क्रियाओं और गतिविधियों को भी स्थान दिया गया है। इन क्रियाओं का ठीक से मूल्यांकन करने के लिए तथा छात्रों के द्वारा अर्जित ज्ञान की जांच करने के लिए परीक्षा प्रणाली एवं मूल्यांकन प्रणाली में परीक्षा सुधार आवश्यकता है।
छात्रों के अंदर गुणों तथा प्रतिभा के विकास के लिए परीक्षा में सुधार करना आवश्यक है। शिक्षा के द्वारा बालक के अंदर निहित सभी गुणों को बाहर लाया जा सकता है और शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति हुई है या नहीं तथा उन उद्देश्यों को किस प्रकार प्राप्त किया जाए, इसकी जांच परीक्षा व मूल्यांकन द्वारा की जा सकती है। व्यक्तिगत विभिन्नता के अनुसार कोई भी दो छात्र एक समान प्रवृत्ति व रुचि के नहीं होते और प्रत्येक बालक के अंदर कोई न कोई विशिष्ट योग्यता व प्रतिभा होती है। शिक्षा के द्वारा उस छिपी हुई प्रतिभा का विकास किया जाता है। इस प्रतिभा के विकास का मूल्यांकन परीक्षा द्वारा किया जाता है। प्रतिभा के विकास के लिए परीक्षा सुधार आवश्यक होता है। शिक्षा समाज का निर्माण करती है और समाज शिक्षा का। इसलिए इन दोनों में उचित संतुलन होने पर ही शिक्षा संस्थान उचित रूप से कार्य कर पाते हैं। सदैव यही देखा गया है कि समाज की आवश्यकताओं एवं विचारधाराओं के परिवर्तित होते ही शिक्षा के स्वरूप में भी परिवर्तन हो जाता है। परीक्षा का मूल्यांकन भी इसी का एक भाग है। इसलिए शिक्षा व समाज में उचित संबंध स्थापित करने के लिए परीक्षा का मूल्यांकन व परीक्षा सुधार आज की आवश्यकता है। परीक्षा प्रणाली में सुधारों के प्रति संजीदगी दिखाते हुए राज्यों के शिक्षा प्रशासन उचित कदम उठाने की तरफ ध्यान दें। एक बेहतरीन शिक्षा-परीक्षा प्रणाली छात्र, टीचर, अभिभावक और परीक्षा करवाने वाली संस्थाओं के लिए सामयिक जरूरत है।
डा. वरिंदर भाटिया
कालेज प्रिंसीपल
ईमेल : [email protected]


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