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- अपनेपन की जरूरत
Written by जनसत्ता; भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा दुखद है। कुछ शरारती तत्व डाक्टरों का निरादर करते हैं, जिससे माहौल बिगड़ जाता है। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने डाक्टरों के खिलाफ हिंसा पर दुख जताया है।
डाक्टर चौबीस घंटे काम करते हैं। इसमें उनको अपनी सेहत की भी परवाह नहीं होती, लेकिन मरीजों क अच्छे से खयाल रखते हैं। ईमानदार और मेहनती डाक्टरों के लिए अच्छा माहौल और बेहतर सुरक्षा की जरूरत है। डाक्टरों से घृणा नहीं अपनापन बढ़ाने की जरूरत है।
इंसान क्या, हर जीव ही गुलामी से मुक्ति चाहता है, क्योंकि इसके बिना उसका संपूर्ण विकास संभव ही नहीं है। हर शासक की अपने काल में अमर होने की बड़ी प्रबल इच्छा रही है और उसने वैसे ही कार्य किए हैं, जो स्वाभाविक है। मुगलों ने अपने शासन काल में अपने धर्मानुसार अनेक इमारतों, मकबरों, महलों, मीनारों और मस्जिदों आदि का बड़े स्तर पर निर्माण कराया।
इसी तरह अंग्रेजों ने भी अपने शासन काल में उनसे भी बढ़चढ़ कर ढेर सारे बड़े निर्माण कार्य किए। नेहरू जी के नाम पर भी अनेक योजनाओं, स्थानों और संस्थानों आदि के नाम रखे गए। इसी तरह इंदिरा गांधी के नाम से भी अनेक नाम रखे गए। बाद में राजीव गांधी और संजय गांधी के नाम से भी अनेक भवनों, कालोनियों, संस्थाओं के नाम रखे गए।
अब वर्तमान प्रधानमंत्री ने भी सर्वप्रथम गुजरात में पटेल की ऐतिहासिक बड़ी प्रतिमा की स्थापना के बाद देश में कई नए निर्माणों के साथ नए संसद भवन का निर्माण भी शुरू किया है। साथ ही मुगलकालीन बड़े अजीब नामों को भी सही से सरल, संक्षेप और मिलते-जुलते नामों का भी सिलसिला शुरू किया है, जो मुगलों और अंग्रेजों की गुलाम मानसिकता से मुक्ति दिलाने की एक अच्छी और ऐतिहासिक बात है।
हाल ही हुए मुख्यमंत्रियों और जजों के सम्मेलन ने प्रधानमंत्री ने अपनी भाषा में निर्णय देने की न्यायाधीशों से अपील की, वहीं प्रधान न्यायाधीश ने भी सुप्रीम कोर्ट में रिक्त पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति करने हेतु प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित किया। शासन ने त्वरित कदम उठा कर सुप्रीम कोर्ट में खाली पदों पर भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू कर सराहनीय कार्य किया है।
इसी तरह हिंदी में सर्च इंजन और ऐप उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू होना सुखद खबर है, इससे मामले निपटाने में सुविधा होगी, किंतु प्रधान न्यायाधीश ने सरकार से आदेश पालन में आनाकानी पर भी ध्यान दिलाया था, क्योंकि समय सीमा में कोर्ट के निर्णय का पालन न होने से मामलों की संख्या कम नहीं होती है। कहते तो सभी हैं कि हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, किंतु कथनी और करनी मे अंतर को शीघ्र समाप्त करना जरूरी है।