सम्पादकीय

सौहार्द की जरूरत

Subhi
23 April 2022 5:33 AM GMT
सौहार्द की जरूरत
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धार्मिक स्थलों और धार्मिक आयोजनों में लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार देखा गया है कि लाउडस्पीकर की आवाज बहुत अधिक होती है। कई बार तो रात भर लाउडस्पीकर ऊंची आवाज में बजाए जाते हैं।

Written by जनसत्ता; धार्मिक स्थलों और धार्मिक आयोजनों में लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार देखा गया है कि लाउडस्पीकर की आवाज बहुत अधिक होती है। कई बार तो रात भर लाउडस्पीकर ऊंची आवाज में बजाए जाते हैं। शादियों व अन्य कार्यक्रमों में भी यही हाल होता है, जिससे आसपास के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशनी पढ़ाई करने वाले छात्रों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को होता है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने लाउडस्पीकर की आवाज को सीमित रखने के लिए कहा है और रात के दस बजे के बाद लाउडस्पीकर न बजाने की हिदायत दी है, लेकिन फिर भी कई लोग इन हिदायतों का पालन नहीं करते।

हमें संविधान ने अपने-अपने धर्मों को मनाने की पूरी आजादी दी हुई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम दूसरों के जीवन में खलल डालें। लाउडस्पीकर बजाएं, लेकिन उसकी आवाज इतनी धीमी हो कि दूसरे लोग परेशान न हों। अगर हम इन बातों का पालन पूरी निष्ठा से करेंगे तो हमारे देश में सौहार्द बना रहेगा।

आजकल हमारे देश में लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर बहुत बहस छिड़ी हुई है। सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर दोष मढ़ रहे हैं। मगर हमें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, ताकि दूसरे लोग भी अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए प्रेरित हों। हम अधिकारों की बात तो करते हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं। धार्मिक आस्था अच्छी बात है, मगर भगवान या खुदा यह कभी नहीं कहते कि दूसरों के जीवन में तकलीफ पहुंचाई जाए। इस देश की विविधता ही इसकी सुंदरता है, जिसे सारी दुनिया मानती है। हमें इसे बनाए रखना होगा।


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