सम्पादकीय

महंगाई में और कमी जरूरी

Rani Sahu
28 Aug 2022 7:00 PM GMT
महंगाई में और कमी जरूरी
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23 अगस्त को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस समय देश में महंगाई में कमी लाने के रणनीतिक कदम उठाए जा रहे हैं। रिजर्व बैंक बाजार से चुपचाप तरलता खींच रहा है। इससे अब महंगाई में और कमी आएगी। इसी वर्ष 6 फीसदी तक महंगाई नियंत्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास होगा और आगामी दो वर्षों में खुदरा महंगाई दर घटाते हुए चार फीसदी तक लाने का प्रयास होगा। गौरतलब है कि इस समय रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और आपूर्ति श्रृंखला में अवरोधों की वजह से जहां दुनिया के लगभग सभी देशों में महंगाई छलांगे लगाकर बढ़ रही है, वहीं भारत में सरकार के रणनीतिक प्रयासों से महंगाई से राहत का परिदृश्य भी उभरकर दिखाई दे रहा है। इसी माह अगस्त में प्रकाशित महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक देश में जुलाई 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.71 फीसदी के स्तर पर पाई गई है। यह जून माह में 7.01 प्रतिशत थी तथा मई माह में 7.04 फीसदी थी। इसी तरह थोक महंगाई दर भी घटकर 13.93 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। जून में थोक महंगाई दर 15.18 फीसदी और मई में रिकॉर्ड 16.63 फीसदी की ऊंचाई पर थी। नि:संदेह दुनियाभर में वैश्विक आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के कारण बढ़ती हुई महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है।
महंगाई की दर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस आदि अधिकांश विकसित और विकासशील देशों में ऊंचाई पर है। 17 अगस्त को ब्रिटेन में प्रकाशित महंगाई की रिपोर्ट के मुताबिक खुदरा महंगाई दर 10.1 फीसदी पहुंच गई है। यह फरवरी 1982 के बाद का उच्च स्तर है। पाकिस्तान में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। 18 अगस्त को पेट्रोल की कीमत करीब 233 रुपए प्रति लीटर व डीजल की कीमत करीब 244 रुपए प्रति लीटर पाई गई है। सचमुच महंगाई के ऐसे चिंताजनक वैश्विक हालात के बीच भारत में महंगाई कम होने के मद्देनजर चार प्रमुख रणनीतिक कदम उभरकर दिखाई दे रहे हैं। एक, सरकार के द्वारा रूस से कच्चे तेल का सस्ता आयात। दो, रिजर्व बैंक के महंगाई नियंत्रण के रणनीतिक उपाय। तीन, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार एवं कमजोर वर्ग के लोगों तक खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति। चार, पेट्रोल में एथनॉल का अधिक उपयोग। नि:संदेह रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों में विशेषकर अमेरिका व यूरोपियन यूनियन के दबाव के बावजूद भारत ने किसी पक्ष का समर्थन नहीं किया और भारत ने जिस तरह तटस्थ रुख अपनाया, उसका एक बड़ा फायदा भारत को रूस से सस्ते कच्चे तेल के रूप में मिलते हुए दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार वर्तमान परिस्थितियों में देश को महंगाई से बचाने के लिए कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की खरीदी संबंधी बेहतरीन सौदा करने की नीति पर आगे बढ़ी है। खासतौर से रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल प्राप्त किया जा रहा है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार रूस से जून 2022 में 3.02 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल आयात किया गया था।
दुनिया में अधिकांश देशों से आर्थिक प्रतिबंध झेल रहे रूस से भारत ने जून 2022 में 4.23 अरब डॉलर के सामान का आयात किया। पिछले साल जून 2022 की तुलना में आयात करीब सात गुना बढ़ा है। इसमें प्रमुखतया कच्चे तेल का आयात शामिल है। खास बात यह है कि महंगी कीमतों के कारण वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के बीच तेल के कुल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 9.2 फीसदी से घटकर 5.4 फीसदी रह गई है जबकि रूस की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.02 फीसदी से बढक़र 12.9 फीसदी हो गई। देश में महंगाई घटाने में आरबीआई की भी अहम भूमिका है। 5 अगस्त को रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। अब रेपो रेट 4.90 फीसदी से बढक़र 5.40 फीसदी हो गई है। रिजर्व बैंक के द्वारा पिछले मई और जून माह में भी रेपो रेट में क्रमश: 40 और 50 आधार अंकों की वृद्धि की गई थी। महंगाई को अभी और नियंत्रित करने के मद्देनजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की सितंबर 2022 के आखिरी हफ्ते में होने वाली बैठक में रेपो रेट में 35-40 आधार अंकों की और बढ़ोतरी की जा सकती है। वस्तुत: महंगाई नियंत्रण के लिए रिजर्व बैंक नरम मौद्रिक नीति के फैसले से पीछे हटा है।
आरबीआई एकदम ज्यादा रेपो रेट बढ़ाकर यानी फ्रंट लोडिंग के जरिए महंगाई में कमी लाने के प्रयासों के दौरान मंदी से बचने की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। वस्तुत: रेपो रेट वह रेट है, जिस पर आरबीआई अपने अधीन बैंकों को कर्ज देता है। इससे बाजार में कैश फ्लो पर नियंत्रण रखा जाता है। आरबीआई ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि के साथ तेज विकास दर को बढ़ावा देने के बजाय महंगाई पर अधिक नियंत्रण की रणनीति को उपयुक्त माना है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि पेट्रोल और डीजल में एथनॉल का मिश्रण बढ़ाकर भी इनकी कीमतों में कमी लाने का सफल प्रयास हुआ है। वर्ष 2014 में पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण बमुश्किल 1.4 फीसदी था, जबकि इस वर्ष 2022 में 10.6 फीसदी मिश्रण किया जा रहा है, जो लक्ष्य से कहीं ज्यादा है। वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य 20 फीसदी रखा गया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि किसानों के समर्थन से एथनॉल उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। 8 वर्ष पहले देश में 40 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन होता था, अब करीब 400 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हो रहा है।
एथनॉल के उपयोग में तेल विपणन कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। नि:संदेह महंगाई की वैश्विक चुनौती के बीच भारत में महंगाई में कमी राहतकारी है। लेकिन अभी महंगाई में तत्परता से और अधिक कमी लाने की जरूरत है। महंगाई को छह फीसदी के स्तर पर लाने के लिए कई और कारगर प्रयासों की जरूरत है। अभी रेपो रेट में कुछ और वृद्धि करके अर्थव्यवस्था में नकद प्रवाह को कम किया जाना उपयुक्त होगा। देश में महंगाई को रोकने के लिए अनावश्यक आयात को नियंत्रित करना होगा। खाद्यान्न और उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाना होगा। देश में अब कच्चे तेल के अधिक उत्पादन व कच्चे तेल के विकल्पों पर ध्यान देना होगा। इलेक्ट्रानिक वाहनों के साथ-साथ अन्य हाईब्रिड वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाना होगा। सरकार के द्वारा ई-कारों की तरह हाईब्रिड कारों पर भी जीएसटी घटाया जाना लाभप्रद होगा। रूस से कच्चे तेल के आयात में और वृद्धि की जाना लाभप्रद होगी। इन विभिन्न उपायों पर ध्यान दिए जाने से देश में बढ़ती हुई महंगाई को और अधिक घटाया जा सकेगा तथा महंगाई की पीड़ाओं का सामना कर रहे देश के करोड़ों लोगों को राहत दी जा सकेगी।
डा. जयंतीलाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री

By: divyahimachal

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