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नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है
मनोज कुमार द्विवेदी। नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं पर शोषण होता है, उनका अपमान किया जाता है। आज भी भारत में कन्या के जन्म पर दुःख मनाया जाता है। ऐसा क्यों? क्यों आप देवी मां के इन रूपों का ऐसा अपमान करते है? हर कन्या अपना भाग्य खुद लेकर आती है। कन्याओं के प्रति समाज को सोच बदलनी पड़ेगी यह देवी तुल्य है देवी तुल्य इन कन्याओं और महिलाओं का सम्मान करें। इनका आदर कर आप ईश्वर की पूजा के बराबर पुण्य प्राप्त करते हैं। शास्त्रों में भी बताया गया है कि जिस घर में नारी का सम्मान होता है, वहां खुद ईश्वर वास करते हैं
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। सनातन धर्म वैसे तो सभी बच्चों में ईश्वर का रूप बताता है किन्तु नवरात्रों में छोटी कन्याओं में माता का रूप बताया जाता है। अष्टमी व नवमी तिथि के दिन तीन से नौ वर्ष की कन्याओं का पूजन किए जाने की परंपरा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है। छल और कपट से दूर ये कन्याएं पवित्र बताई जाती हैं और कहा जाता है कि जब नवरात्रों में माता पृथ्वी लोक पर आती हैं तो सबसे पहले कन्याओं में ही विराजित होती हैं। इनका सम्मान करना इन्हें आदर देना ही नवरात्रि में माता की सच्ची उपासना होगी।
शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छ: साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती हैं। भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए। इस प्रकार महामाया भगवती प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण करती हैं।
साथ ही साथ अगर आप नवरात्रों में अगर आप कन्या पूजन कर रहे हैं या नहीं भी कर रहे हैं किन्तु आपको यह संकल्प इन नवरात्रों में अवश्य लेना चाहिए कि आप समाज की कन्याओं और महिलाओं को हमेशा आदर भाव देंगे। शायद नवरात्रों में माता को यही सबसे बड़ी भेंट हो सकती है।
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