नवजोत सिंह सिद्धू की पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद भी सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्द्र सिंह के मध्य विवाद थमा नहीं है। अभी तक अमरिन्द्र गुट सिद्धू से माफी मंगवाने पर अड़ा है। दूसरी ओर सिद्धू खेमा कहता है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ सिद्धू के ट्वीट पर माफी मांगने की जरूरत नहीं क्योंकि मुख्यमंत्री के तौर पर कैप्टन ने जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं किया, माफी तो कैप्टन को मांगनी चाहिए। दोनों नेताओं के मध्य टकराव ने पार्टी हाईकमान की चिंता बढ़ा दी है। दोनों के बीच तालमेल कायम नहीं हुआ तो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। सिद्धू अब जगह-जगह जाकर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। नवजोत सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस की कमान देने से कैप्टन समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, जब वो अमृतसर से सांसद चुने गए थे। वर्ष 2014 में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेतली को अमृतसर से चुनाव लड़ाया गया तो सिद्धू को राज्यसभा में भेज दिया गया। वर्ष 2016 से भाजपा से अलग होकर आप पार्टी से भी उनकी बात चली लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी। इसके कुछ महीनों के भीतर वह कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें कांग्रेस में लाने में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की अहम भूमिका रही। उस समय भी कैप्टन अमरिन्द्र सिंह इस फैसले से सहमत नहीं थे। फिर कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस ने पंजाब में 117 में से 77 सीटें हासिल कर शानदार जीत दर्ज की थी। कैप्टन ने सिद्धू को कैबिनेट मंत्री बनाया। मंत्री पद के बावजूद सिद्धू कपिल शर्मा शो में बतौर जज भाग लेते रहे और लच्छेदार बातों में लोगों का मनोरंजन करते रहे।