सम्पादकीय

पाकिस्तान की फितरत

Subhi
15 April 2022 5:31 AM GMT
पाकिस्तान की फितरत
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पाकिस्तान में सरकार बदल गई है। जब से पाकिस्तान बना है, तब से अब तक किसी भी सरकार के सामने पांच साल का कार्यकाल पूरा करना एक बड़ी चुनौती रही।

Written by जनसत्ता: पाकिस्तान में सरकार बदल गई है। जब से पाकिस्तान बना है, तब से अब तक किसी भी सरकार के सामने पांच साल का कार्यकाल पूरा करना एक बड़ी चुनौती रही। बंटवारे के बाद जहां भारत में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती गर्इं, अवाम की इच्छा के अनुसार हर पांच वर्ष में सरकारें बनती रहीं, कभी भी सेना का हस्तक्षेप नहीं हुआ, वहीं पाकिस्तान में सरकारें सेना के इशारे पर आती और जाती रहीं।

सेना की मर्जी के बिना कोई भी सरकार काम नहीं कर पाई। हर उस नेता को राष्ट्रीय पहचान मिली, जिसने भारत का विरोध किया। हर नेता ने सत्ता हासिल करने के लिए कश्मीर का मुद्दा उठाया, यह जानते हुए भी कि पाकिस्तान कश्मीर को भारत से अलग नहीं कर सकता! लेकिन पाकिस्तानी नेताओं की यह सियासी मजबूरी रही कि उनको राजनीति में बने रहने के लिए हर समय कश्मीर-कश्मीर चिल्लाना पड़ा।

अब पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया है। जैसे कि मुल्क में और दूसरी कोई समस्या ही न हो। सवाल है कि क्या पाकिस्तान में एक भी नेता ऐसा नहीं, जो 1947, 1971 या करगिल को भूल कर एक नई शुरुआत करने की सोच और हिम्मत रखता हो? क्या पाकिस्तानी अवाम को कश्मीर का नाम लेकर बार-बार बेवकूफ बनाया जा सकता है? क्या आम पाकिस्तानी नहीं चाहता कि क्षेत्र में शांति हो, भाईचारा हो?

जितने संसाधन कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए खर्च किए जाते हैं, क्या उन संसाधनों का उपयोग वहां की सड़कों पर, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं या रोजगार बढ़ाने पर खर्च नहीं किया जाना चाहिए? 1947 के बंटवारे के बाद भारत ने राजनीतिक दलों के साथ-साथ यहां के नागरिकों की मदद से विश्व में एक ऊंचा स्थान हासिल किया है। भारत ने विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पाकिस्तान की जनता को भी अपने नेताओं पर दबाव बनाना चाहिए कि पुरानी बातें भूल कर एक नई शुरुआत करें। 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत को मानते हुए अपनी ऊर्जा को मुल्क की तरक्की के लिए खर्च करें।

दिल्ली में गर्मी ने तोड़ा रेकार्ड और गर्मी के कारण लोगों का हाल हुआ बेहाल। इस साल अप्रैल में ही गर्मी ने भयंकर रूप धारण कर लिया है। न जाने मई और जून में क्या होगा! कौन-सा रूप धारण करेगी गर्मी! बहत्तर साल पहले अप्रैल के महीने में 45.6 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड किया गया था। लेकिन इस बार गर्मी ने उसे तोड़ दिया। यह मौसम कई सारी बीमारियां भी लेकर आता है।

इस मौसम में होने वाली कुछ बीमारियां सामान्य होती हैं और कुछ बीमारियां बहुत गंभीर होती हैं, जैसे- टायफाइड, घेंघा, खसरा, पीलिया, चेचक आदि। सबसे ज्यादा यह मौसम बच्चों के लिए खतरनाक साबित होता है, क्योंकि जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी कम होती है, सबसे पहले वही गर्मी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हर स्तर पर सावधानी बरतना जरूरी है।


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