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जैसे हर सुबह की शाम होती है, वैसे ही हर ख्याति भी बदनाम और हर भौतिक सुविधा रोग होती है
पं. विजयशंकर मेहता
जैसे हर सुबह की शाम होती है, वैसे ही हर ख्याति भी बदनाम और हर भौतिक सुविधा रोग होती है। हम इस समय सुविधाओं के दौर में जी रहे हैं। स्वस्थ रहना चाहें तो सुविधाएं कितनी जरूरी हैं और उनके पीछे कितनी वासना की मांग है, यह अंतर समझना जरूरी होगा। वासना एक अंधकार है। वैसे अंधकार की परिभाषा है कि इसमें कुछ दिखता नहीं है, लेकिन वासना के अंधेरे का अर्थ होता है इसमें वही दिखता है जो वासना दिखाना चाहती है।
वासनामय होते ही कामनाएं जाग जाती हैं और यहीं से बीमारी का प्रवेश होता है। प्रकृति ने चार प्रकार के डॉक्टर बताए हैं- आराम, व्यायाम, आहार और सूर्य। इसमें सूर्य को समझें, क्योंकि उसके पास प्रकाश है। सूरज से जुड़े सारे उपचार सरल भी हैं।
अर्घ्य देना, सूर्य नमस्कार, धूप का सेवन, ये सब मुफ्त में मिलने वाली औषधियां हैं। इनका भरपूर लाभ उठाइए। अपने आप को सूर्य से जोड़िए। उसके प्रकाश से वासनाओं का अंधेरा छंटेगा और वासनाओं का अंधकार जाते ही स्वास्थ्य की सारी संभावनाएं प्रकट हो जाएंगी।
Rani Sahu
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