सम्पादकीय

राष्ट्रघाती व्यवहार: सरकारी संपत्ति को नष्ट कर करदाताओं की गाढ़ी कमाई कर रहे बर्बाद

Gulabi Jagat
18 Jun 2022 5:27 PM GMT
राष्ट्रघाती व्यवहार: सरकारी संपत्ति को नष्ट कर करदाताओं की गाढ़ी कमाई कर रहे बर्बाद
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राष्ट्रघाती व्यवहार
सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में जैसी भीषण और राष्ट्रघाती अराजकता हो रही है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि शर्मनाक भी। यह अकल्पनीय है कि जो युवा सेना में जाकर देश की सेवा करने के आकांक्षी हैं, वे ट्रेनों एवं बसों को जला रहे हैं, पुलिस चौकियों पर हमले कर रहे हैं और अन्य सरकारी तथा गैर सरकारी संपत्ति को ऐसे नष्ट कर रहे हैं, जैसे वह शत्रु देश की हो। अग्निपथ योजना के विरोध में किस बड़े पैमाने पर अराजकता हो रही है, इसे इससे समझा जा सकता है कि अकेले बिहार में केवल रेलवे की दो सौ करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति स्वाहा कर दी गई है।
ऐसा लगता है कि सड़कों पर उतरकर अराजकता का परिचय दे रहे युवा मानसिक रूप से उसी दौर में जी रहे हैं, जब देश अंग्रेजों के अधीन था और स्वतंत्रता आंदोलन के तहत अंग्रेजी सत्ता की संपत्ति को निशाना बनाया जाता था। क्या सड़कों पर उत्पात मचा रहे युवा यह नहीं जानते कि वे अपनी अराजक हरकतों और हिंसक व्यवहार से राष्ट्र की संपत्ति के साथ-साथ आम लोगों का भी नुकसान कर रहे हैं? आखिर इस नुकसान की भरपाई जनता के पैसे से ही तो होगी। लगता है कि उपद्रवी तत्व यह जानने-समझने को तैयार नहीं कि वे सरकारी संपत्ति को नष्ट करके करदाताओं की गाढ़ी कमाई बर्बाद कर रहे हैं। कहीं उनकी बेपरवाही का कारण यह तो नहीं कि वे न तो टैक्स देते हैं और न ही यह समझते हैं कि लोगों के टैक्स से ही देश चलता है.
यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि सरकारी संपदा को स्वाहा कर रहे युवा न तो संयम का परिचय देना जानते हैं और न ही विवेक का। आखिर ऐसे उत्पाती युवाओं को सेना में क्यों शामिल होने देना चाहिए? वे जिस तरह पेंशन की चिंता कर रहे हैं, उससे देश सेवा के उनके जज्बे पर प्रश्नचिह्न ही लगता है। आवश्यक केवल यह नहीं है कि उत्पात मचा रहे युवाओं से सख्ती से निपटा जाए, बल्कि यह भी है कि सरकारी अथवा निजी संपत्ति को जो नुकसान पहुंचाया जा रहा है, उसकी भरपाई भी उनसे की जाए। उन्हें उकसा रहे तत्वों के खिलाफ भी सख्ती बरतनी होगी, क्योंकि यह साफ दिख रहा है कि कुछ स्वार्थी तत्व उन्हें भड़का रहे हैं। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि रेलवे ऐसे नियम बनाने जा रहा है, जिससे उसकी संपत्ति नष्ट करने वालों को जवाबदेह बनाया जा सके। इस तरह के कुछ नियम पहले से बने हुए हैं, लेकिन उन पर सही तरह से अमल नहीं हो रहा है। वास्तव में इसी कारण विरोध के बहाने अराजकता बढ़ती जा रही है। इस अराजकता से सख्ती से नहीं निपटा गया तो आगे भी ऐसा होता दिखेगा।

दैनिक जागरण के सौजन्य से समादकीय
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