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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
भारत की बदलती खेल संस्कृति का ही असर माना जाना चाहिए कि क्रिकेट हो या बैडमिंटन, कुश्ती हो या भारोत्तोलन, भारतीय खिलाड़ी विभिन्न खेल स्पर्धाओं में दुनियाभर में सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. पिछले दिनों 14 बार के विश्व चैम्पियन को हराकर बैडमिंटन का प्रतिष्ठित 'थॉमस कप' जीतते हुए भारत का विश्व चैम्पियन बनना, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय पुरुष और महिला खिलाड़ियों द्वारा शानदार प्रदर्शन करते हुए नए-नए रिकॉर्ड बनाना, ओलम्पिक खेलों में प्रदर्शन में सुधार, एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों का परचम लहराना इत्यादि खेलों की दुनिया में भारत के बढ़ते दबदबे का स्पष्ट संकेत है.
भारत में खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष हॉकी के पूर्व कप्तान मेजर ध्यानचंद की जयंती 29 अगस्त के अवसर पर 'राष्ट्रीय खेल दिवस' मनाया जाता है. इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न खेल स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार' प्रदान किया जाता है और इस वर्ष खेल दिवस की महत्ता इसलिए भी काफी ज्यादा है क्योंकि गत वर्ष ओलम्पिक में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद पिछले दिनों बर्मिंघम में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अपना परचम लहराकर साबित कर दिया कि खेलों की दुनिया में भारत अब एक नई ताकत के रूप में उभर रहा है.
हालांकि राष्ट्रमंडल खेलों में कुछ खेल स्पर्धाओं में निराशा हाथ लगी और भारत पदक जीतने का चार साल पुराना अपना ही प्रदर्शन नहीं दोहरा सका लेकिन 22 स्वर्ण पदकों सहित कुल 61 पदक जीतकर 283 खेल स्पर्धाओं में शामिल 72 देशों में चौथे स्थान पर रहकर भी हमारे खिलाड़ियों ने निराश नहीं किया. यह लगातार छठा मौका था, जब राष्ट्रमंडल खेलों में भारत 50 से ज्यादा पदक जीतने में सफल रहा.
निशानेबाजी में भारत का प्रदर्शन शानदार रहा है और 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत 7 स्वर्ण सहित कुल 16 पदक निशानेबाजी में ही जीता था लेकिन इस बार निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों से हटा दिया गया था अन्यथा भारत पिछली बार के मुकाबले कहीं ज्यादा पदक जीतने में सफल रहता. रसातल में जाती हॉकी के मामले में भी भारत की तस्वीर धीरे-धीरे सुधर रही है. टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय पुरुष और महिला टीमों के शानदार प्रदर्शन के बाद राष्ट्रमंडल में भी हॉकी टीमों से उम्मीदें थीं और यहां भी उन्होंने क्रमशः रजत और कांस्य पदक जीतकर निराश नहीं किया.
राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 19 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था और उनमें से 16 में पदक जीतकर स्पष्ट अहसास करा दिया कि अगर उन्हें सही ढंग से तराशा जाए तो वे दुनिया में किसी से कम नहीं हैं. बैडमिंटन, भारोत्तोलन, मुक्केबाजी, कुश्ती तथा एथलेटिक्स में प्रदर्शन शानदार रहा. भारत को कुश्ती में 12, भारोत्तोलन में 10, एथलेटिक्स में 8, बॉक्सिंग तथा टेबल टेनिस में 7-7 पदक मिले.
ट्रैक एंड फील्ड की स्पर्धाओं में तो खिलाड़ियों ने उम्मीद से भी बेहतर प्रदर्शन किया. कुल 61 पदकों में से कई पदक महिला खिलाड़ियों ने जीतकर यह भी साबित कर दिया कि खेल जगत में अब भारत की बेटियां भी कीर्तिमान बना सकती हैं. भारतीय खेलों की दशा और दिशा सुधरने की सुखद तस्वीर यही है कि भारत की बेटियां भी अब खेलों की दुनिया में निरंतर स्वर्णिम इतिहास लिख रही हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों में ऐसे खिलाड़ियों ने भी पदक तालिका में जगह बनाकर देश का मान बढ़ाया, जिनके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते थे. ऊंची कूद, लंबी कूद, स्टीपल चेज इत्यादि में भारतीय एथलीट बहुत ही कम नजर आते थे लेकिन अब इनमें भी भारतीय खिलाड़ी कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं. लॉन बॉल्स जैसे अज्ञात से खेल में राष्ट्रमंडल खेलों में भारत द्वारा स्वर्ण पदक जीतना बड़ी बात है.
त्रिकूद, ऊंची कूद, लंबी कूद, पैदल चाल, जूडो, भाला फेंक इत्यादि में तो ऐसे-ऐसे खिलाड़ियों ने पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया, जिनकी अब तक खेल जगत में कोई खास पहचान नहीं थी.
Rani Sahu
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