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- राष्ट्रभाषा का दर्जा...
हिंदी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। जबकि संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है जिसे आर्य भाषा या देव भाषा भी कहा जाता है। हिंदी इसी की उत्तराधिकारिणी मानी जाती है। किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति के विकास में उसकी भाषा का विशेष योगदान होता है। भाषा संस्कृति की संवाहक होती है, इसलिए भाषा और संस्कृति का अटूट संबंध होता है। भाषा ठहरा हुआ पानी नहीं है, बल्कि बहती हुई नदी है। इसलिए इसके बहाव के साथ नित नए बदलाव आते रहते हैं। प्रत्येक भाषा का एक इतिहास होता है जो उस देश व देशवासियों के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक इतिहास से जुड़ा होता है। भारत सरकार ने लगभग 1500-2000 वर्षों के अपने लंबे इतिहास के कारण तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम और ओडिया को शास्त्रीय भाषा का गौरव दिया है। स्वतंत्रता के पश्चात 'वसुधैव कुटुम्बकमÓ की भावना से ओतप्रोत भारतीय संस्कृति की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता को सुरक्षित रखने व लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन के लिए राष्ट्र भाषा का होना अनिवार्य समझा गया। .