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सम्पादकीय
नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया गांधी और राहुल पर कस रहा ED का शिकंजा, ऐसे मामलों में तेजी से हो सुनवाई
Gulabi Jagat
2 Jun 2022 7:08 AM GMT
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नेशनल हेराल्ड केस
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की ओर से नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूछताछ के लिए तलब करने पर कांग्रेस का आगबबूला होना स्वाभाविक है। कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया पर भाजपा ने उसे उसी की भाषा में जवाब दिया है। यह तय है कि इस मामले को लेकर दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला कायम रहेगा, लेकिन इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है। यदि कुछ हासिल करना है, तो फिर नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले जल्द निपटाने की कोई ठोस व्यवस्था बनानी होगी। इसका कोई औचित्य नहीं कि जिन मामलों का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए, वे वर्षों और कभी-कभी तो दशकों तक खिंचते रहें। नेशनल हेराल्ड का मामला भी कुछ ऐसा ही है। यह मामला दस साल पुराना है और लगता नहीं कि जल्द किसी नतीजे पर पहुंचेगा।
वास्तव में नेताओं की ओर से आय से अधिक संपत्ति जुटाने, सत्ता का दुरुपयोग कर अवैध कमाई करने और काले धन को छल-छद्म से सफेद करने के न जाने कितने मामलों की जांच जारी है। ऐसे कई मामले सीबीआइ के पास हैं तो कुछ ईडी के पास। कुछ मामलों की जांच ये दोनों एजेंसियां कर रही हैं। नेशनल हेराल्ड मामले का सच जो भी हो, यह किसी से छिपा नहीं कि तमाम नेताओं के लिए राजनीति धन कमाने का जरिया बन गई है।
यह ठीक है कि कुछ नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप सही साबित हुए हैं और अदालतों की ओर से उन्हें सजा भी सुनाई गई है, लेकिन उनके तमाम मामले ऐसे हैं, जिनका जल्द निपटारा होता नहीं दिखता। कुछ मामलों की जांच लंबी खिंच रही है तो कुछ की सुनवाई का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। नि:संदेह राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती दिखाया जाना समय की मांग है, लेकिन बात तब बनेगी, जब नेताओं और साथ ही नौकरशाहों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच एवं सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर तेजी से होगी।
फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा है। इसके चलते भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे नेता न केवल राजनीति में सक्रिय हैं, बल्कि यह कहकर जनता की हमदर्दी पाने की कोशिश भी करते रहते हैं कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। जिस तरह नेताओं के भ्रष्टाचार के मामलों का निपटारा होने में देरी हो रही है, उसी तरह सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे उन आपराधिक मामलों का भी, जिनकी सुनवाई विशेष अदालतें कर रही हैं। एक आंकड़े के अनुसार सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं। स्पष्ट है कि जांच एजेंसियों के साथ अदालतों को सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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