सम्पादकीय

National Doctors Day राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

Admin2
1 July 2022 11:55 AM GMT
National Doctors Day राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस
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जनता से रिश्ता : चिकित्सा को हमेशा से एक नोबल पेशे में गिना गया है। सहज शब्दों में कहें तो एक ऐसा पेशा जहां आपके हाथ में ईश्वर सुपर पॉवर दे देता है। इसे चाहे आस्था कहें, विश्वास कहें या चमत्कार, चिकित्सा जगत में ऐसे कई घटनाक्रम आम हैं जहां गम्भीर बीमारी या दुर्घटना से जूझ रहा व्यक्ति भी मौत के मुंह से वापस आ जाता है।इसमें ईश्वर की माया के साथ डॉक्टर की काबिलियत और खुद मरीज का विश्वास भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गौर कीजिएगा कि यहां डॉक्टर की काबिलियत भी उपरोक्त दो चीजों के साथ जुड़ी है। कोई भी डॉक्टर आपको यह गारंटी नही दे सकता कि वह आपको चमत्कारी रूप से स्वस्थ कर देगा। यह आपका उसके प्रति विश्वास होता है जिसको बनाए रखने के लिए वह खुद को झोंक देता है। ऐसे में बिना गलती अगर डॉक्टर्स को ही हर बात के लिए दोषी ठहराया जाए तो क्या ये नाइंसाफी नहीं होगी?

मेरे बेटे के पीडियाट्रिशियन के क्लिनिक के ठीक पास एक खोमचे वाला चाट और पानी पूरी बेचता है। अक्सर उस जगह पर कॉलेज स्कूल के विद्यार्थियों की भीड़ लगी रहती है क्योंकि वहां आस पास-कई शिक्षण संस्थान हैं, ये तो हुई आम बात। क्लिनिक का समय आमतौर पर शाम का होता है जो कि डिनर का भी समय होता है।मैंने ये अनुभव किया है कि जो पैरेंट्स अपने बीमार बच्चों को लेकर आते हैं वे अक्सर डॉक्टर साहब का इंतज़ार करते हुए या चेकअप के बाद जाते समय खुद तो उस खोमचे से लेकर चीजें खाते ही हैं, बीमार बच्चे को खिलाने से भी नही हिचकते।15 मिनिट पहले जिस बच्चे को डॉक्टर ने ठंडी-चटपटी चीजें खाने से परहेज करने को कहा, वो अपने ही माता पिता की छत्रछाया में पानी पूरी खा रहा होता है। वो भी डिनर की जगह, अब अगर बच्चा ठीक न हो, उसकी तबियत ठीक न हो तो सारा दोष डॉक्टर का। बिना पलक झपके डॉक्टर को खराब बता दिया जाता है।
यहां उस गरीब खोमचे वाले को भी दोष देने का मतलब नहीं क्योंकि उसने आपको कसम नहीं दी कि मेरे खोमचे का खर्चा आपसे ही चलता है, कसम है कुछ तो खा जाओ, उसे तो शायद ये भी नहीं पता कि आप डॉक्टर के पास से चेकअप करवा कर आ रहे हैं? सच है कि आज भारत में कम प्रशिक्षित डॉक्टर्स व फर्जी डिग्रीधारियों की संख्या और बढ़ी है। यह भी सच है कि जांच और इलाज के नाम पर लाखों रुपए ऐंठ लेने वाले अस्पताल भी खड़े हुए हैं लेकिन इन दोनों की ही सबसे बड़ी कीमत जो चुका रहा है, वह है एक अच्छा प्रोफेशनल जो अच्छा इंसान भी है। जो अपने अनुभव और प्रशिक्षण के बल पर मरीज़ों को सेवा देने को आतुर है।

सोर्स-amarujala

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