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- नेजल वैक्सीन : एक बड़ी...
आदित्य चोपड़ा: कोरोना महामारी के खिलाफ पूरी दुनिया की जंग जारी है। इस जंग में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारतीय कम्पनियों और वैज्ञानिकों ने एक के बाद एक वैक्सीन तैयार कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। भारत ने विज्ञान, अनुसंधान और विकास तथा मानव संसाधनों का सदुपयोग किया। अब भारतीय कम्पनी भारत बायोटिक को एक बड़ी कामयाबी मिली है। भारत बायोटेक ने अब नेजल वैक्सीन तैयार कर ली है, जिसे ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मंजूरी दे दी है और इसे शीघ्र ही राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल कर लिया जाएगा। यद्यपि दुनिया भर में कोविड महामारी का प्रकोप कम हो रहा है, लेकिन हाल ही में सर्दियों में कोरोना वायरस का नया वेरियंट आने की भविष्यवाणी की है जो साल भर रह सकता है। ऐसी स्थिति में संक्रमण से बचना और एहतियात बरतना बहुत जरूरी है। भारत बायोटेक ने नाक से दी जाने वाली वैक्सीन को वाशिंगटन यूनिवर्सिटी सेंट लूइस द्वारा लाइसैंस प्रदत्त टैक्नोलोजी से तैयार किया है। यानि अब इंजैक्शन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। अभी तक भारत में मौजूद सभी वैक्सीन कोविशील्ड, कोवैक्सीन को इंजैक्शन के जरिये ही लोगों को दिया जा रहा है। नाक के जरिये दी जाने वाली इस वैक्सीन से टीकाकरण की रफ्तार बढ़ेगी और लागत भी कम आएगी।वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना जैसे वायरस म्यूकोसा के जरिये ही इंसानों के शरीर में जाते हैं। यह न्यूकोसा नाक, फेफड़ों, पाचनतंत्र में पाए जाने वाला चिपचिपा पदार्थ होता है। नेजल वैक्सीन न्यूकोसा में ही इम्यून रिस्पोंस पैदा करती है जबकि इंजैक्शन वाली वैक्सीन ऐसा नहीं कर पाती। ऐसे में नेजल वैक्सीन बड़ी गेम चेंजर साबित हो सकती है। जब भारत में कोरोना महामारी का टीकाकरण अभियान शुरू किया गया तो कितनी बड़ी व्यवस्था स्थापित करनी पड़ी। इंजैक्शन वाली वैक्सीन देने के लिए देशभर में कितनी लम्बी-चौड़ी कवायद करनी पड़ी जिसके लिए डाक्टरों और प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत पड़ी और वैक्सीन को उचित तापमान में रखकर आपूर्ति के लिए एक बड़ा नेटवर्क स्थापित करना था। जबकि नाक से दी जाने वाली इस वैक्सीन के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत है। भारत बायोटेक ने इससे पहले कोवैक्सीन तैयार की थी। कम्पनी ने अपनी ही वैक्सीन कोवैक्सीन की तुुलना में नेजल वैक्सीन को सुरक्षित करार दिया। कम्पनी ने 3100 लोगों पर ट्रायल किया। कम्पनी ने 875 लोगों पर यह देखने के लिए ट्रायल किया कि क्या इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जा सकता है। जिन्होंने पहले ही कोवैक्सीन या कोविशील्ड की खुराक ले रखी है। यह वैक्सीन 18 साल से ऊपर के लोगों को दी जाएगी। ट्रायल के दौरान वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव या प्रतिकूल प्रतिक्रिया सामने नहीं आई और यह वैक्सीन अच्छी तरह से सहन करने वाली और इम्युनोजेनिक साबित हुई। इस वैक्सीन की एक ही खुराक काम कर जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सामान्य वैक्सीन से इंसान का सिर्फ निचला लंग ही सेफ हो पाता है लेकिन नाक के जरिये वैक्सीन दिए जाने पर ऊपर का और निचला लंग दोनों ही सेफ होने की सम्भावना है। भारतीय कम्पनी बायोटेक की इस उपलब्धि से महामारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई और मजबूत होगी। इसके साथ यह भी साबित हो गया है कि कोरोना महामारी की जंग में भारत ने अभूतपूर्व सफलता प्रदान की है। भारत ने तो पूरी दुनिया को अपना परिवार मान कर मानवता की भलाई के लिए न केवल पड़ोसी देशों को बल्कि ब्राजील और अन्य देशों को भी अपने टीकों की सप्लाई की थी जिसके लिए कई देश आज तक भारत का आभार व्यक्त करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो वैक्सीन अनुसंधान के लिए पूरी दुनिया के वीजा बाधाओं को दूर करने का आह्वान किया था। विज्ञान अनुसंधान कहीं भी हो उसका इस्तेमाल मानवता की भलाई के लिए किया जाना चाहिए।यद्यपि दुनिया भर की दवा कम्पनियां बौद्धिक सम्पदा कानूनों की आड़ में कमाई का खेल खेलती रही हैं। महामारी के दौरान भी दुनिया भर की दवा कम्पनियों ने लॉविंग नहीं छोड़ी लेकिन भारत ने मानवीय आधार पर उदार हृदय का परिचय दिया। भारत चाहता है कि समूचा विश्व मिलकर कोविड हराए। कोविड के खतरे अभी भी मौजूद हैं। इस वायरस को पूरी तरह से निष्प्रभावी बनाने के लिए वैक्सीन की जरूरत है। भारत में अभी भी टीकाकरण अभियान जारी है। बूस्टर डोज भी दिए जा रहे हैं। नेजल वैक्सीन से अब बहुत आसानी होगी और अंततः भारत महामारी से जंग जीत जाएगा।