सम्पादकीय

नाक वाला टीका

Subhi
25 Dec 2022 2:21 AM GMT
नाक वाला टीका
x

कोरोना की आशंका बढ़ने के साथ ही वैक्सीन की चिंता भी शुरू हो गई है और यह सही भी है। किसी भी बीमारी के समय उसकी दवा या दवाओं को लेकर सक्रियता स्वाभाविक है। यह खुशी की बात है कि भारत की औषधि नियामक संस्था ने पहली ऐसी वैक्सीन को इस महीने की शुरुआत में ही मंजूरी दी है, जिसका प्रयोग बहुत आसान है। बेशक, नाक में डाली जाने वाली यह वैक्सीन इंकोवेक कोरोना के खिलाफ भारतीय शस्त्रागार में शामिल नया हथियार है। इसका इस्तेमाल अभी खुले तौर पर शुरू नहीं हुआ है, लेकिन अब टीकाकरण पर भारत की तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने वयस्कों के लिए बूस्टर डोज के रूप में इसका इस्तेमाल करने के लिए कहा है। भारत बायोटेक द्वारा विकसित किए जा रहे इस टीके का काफी समय से इंतजार था। अगले सप्ताह से भारतीय बाजार में यह टीका उपलब्ध हो जाएगा। इस टीके का इस्तेमाल सीधे नाक में किया जा सकता है और यह सर्वज्ञात तथ्य है कि कोरोना वायरस का प्रवेश नाक के जरिये होता है। बड़ी कामयाबी होगी, अगर यह टीका शरीर के प्रवेश द्वार पर ही वायरस को रोक ले।

चूंकि यह टीका आसान है, इसके प्रचलित होने की गुंजाइश ज्यादा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने संसद को बताया है कि नाक में बस एक बूंद डालने की जरूरत पड़ेगी। वैसे यह भी कहा जा रहा है कि इसकी सफलता या इसके प्रयोग से जुड़े आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं। पहले जिन टीकों को मंजूरी मिली थी, उनके प्रयोग से जुडे़ आंकडे़ मौजूद थे। बायोटेक ने अपनी ओर से परीक्षण पर्याप्त किए गए होंगे, लेकिन अब इसके सार्वजनिक प्रयोग पर डॉक्टरों को नजर रखनी चाहिए। यह भी ध्यान रखने की बात है कि विश्व के इस लगभग पहले 'नेजल' टीके को दुनिया के दूसरे देश या विश्व स्वास्थ्य संगठन तभी मंजूर करेगा, जब इसके प्रयोग संबंधी पर्याप्त आंकडे़ मौजूद होंगे। सरकार को अपनी ओर से सावधान रहना चाहिए, किसी भी दवा को आजमाने के बाद ही या अपनी कड़ी निगरानी में इसे प्रयोग में आने देना चाहिए। भारत यदि अपने इस टीके को सफल सिद्ध करके दिखाए, तो यह हमारे पूरे दवा उद्योग के लिए बहुत अच्छी बात होगी। दुनिया वैक्सीन के मामले में लगभग ठहर गई है, जो तेजी शुरुआत में दिखी थी, वह कोरोना के काबू में आने के बाद थोड़ी सुस्त पड़ी है। वैसे भी, किसी भी वैक्सीन का विकास या निर्माण एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है।

बहरहाल, भारत में भी टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ी है। करीब 94 करोड़ वयस्कों में से लगभग 71.90 करोड़ ने अभी तक बूस्टर डोज नहीं लिया है और लगभग 7.5 करोड़ वयस्कों ने अपनी दूसरी खुराक भी नहीं ली है। पहली खुराक लेकर ही लोग खुद को सुरक्षित मान रहे हैं। अभी भी कई लोग यह मानते हैं कि बूस्टर डोज से कोई लाभ नहीं है। आज नए जागरूकता अभियान की जरूरत है। लोगों को सावधानी बरतने के लिए प्रेरित करने के साथ ही टीका लेने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए। सच्चाई यही है कि अनेक टीकाकरण केंद्र बंद हो चुके हैं और जो टीकाकरण केंद्र हैं, वहां पांच-छह दिन में एक शीशी खुल रही है और एक साथ दस-दस लोग टीका ले रहे हैं। लोग जहां मांग करते हैं, वहां सरकार टीका पहुंचाती है, लेकिन लोगों ने मांग करना छोड़ दिया है, तो सरकार ने भी वैक्सीन के ऑर्डर कम कर दिए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय बाजार में 'नेजल वैक्सीन' के आने से लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और यह जरूरी है।



Subhi

Subhi

    Next Story