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सोशल मीडिया पर एक ट्वीट जबरदस्त वायरल हो रहा है
सोशल मीडिया पर एक ट्वीट जबरदस्त वायरल हो रहा है. ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें हैं. उसके साथ पांच पंक्तियों की कविता है. योगी आदित्यनाथ ने खुद ट्विटर पर दो तस्वीरें अपलोड कर उसके कैप्शन में कविता लिखी. जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर बैनर बन गई. अगर तस्वीरें बोलती हैं, तो यकीनन मोदी-योगी की दोनों तस्वीरें चीख रही हैं. ऐसी चीख जिसकी शोर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में सुनाई पड़ रही है. ऐसी चीख जिसकी आवाज सोशल मीडिया पर शाब्दिक आकार ले रही है. ऐसी चीख जो भगवा सियासत के दो मौजूदा ध्वजवाहकों के बीच की केमेस्ट्री की व्याख्या कर रही है.
21 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर वो तस्वीरें अपलोड की, जिसमें प्रधानमंत्री का हाथ उनके कंधे पर है. पीएम मोदी उन्हें कुछ समझा रहे हैं. और योगी आदित्यनाथ गंभीरता से प्रधानमंत्री मोदी की बातों को सुन रहे हैं. ये तस्वीरें जब योगी ने सोशल मीडिया पर डाली उस वक्त पीएम मोदी लखनऊ में ही मौजूद थे. पीएम मोदी तीन दिनों के यूपी दौरे पर थे. बुंदेलखंड को करोड़ों का तोहफा देने के बाद लखनऊ में डीजीपी कॉन्फ्रेंस की बैठक में शरीक हुए थे. इस दौरान नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई. ख़ासकर यूपी की सत्ता में वापसी को लेकर भी बात हुई. और उसी के ठीक बाद योगी आदित्यानाथ ने 5 लाइन की कविता लिखकर पीएम मोदी के साथ मिलकर अंबर से ऊपर तक जाकर नया भारत बनाने की प्रतिज्ञा दोहराई!
विपक्ष ने तंज कसे
वो पांच पंक्तियां उसी कविता की हिस्सा थी, जिसे 15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले पर खड़े होकर पढ़ी थी. योगी आदित्यानाथ तस्वीर के बाद सोशल मीडिया पर कविताओं की बाढ़ सी आ गई. मोदी-योगी समर्थकों ने फिर से यूपी में बीजेपी की वापसी और दोनों की दोस्ती पर शब्द गढ़ने लगे! तो विरोधी भी उसी अंदाज में जवाब देने लगे! समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि बेमन से प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री योगी के कंधे पर हाथ रखा. तो कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि कंधे पर, गले में या कमर में हाथ डालें, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि योगी आदित्यनाथ को जनता फिर से नहीं चुनेगी.
दरअसल चार महीने बाद यूपी में चुनाव है. सत्ता में वापसी के लिए भगवा पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है. 2017 में नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी का इस बार यूपी में चेहरा योगी आदित्यानाथ हैं. लेकिन उनके पीछे ताकत प्रधानमंत्री मोदी की है. 2022 के चुनाव में योगी के कामकाज के बीच प्रधानमंत्री मोदी स्टार कैंपेनर के तौर पर मैदान में उतरेंगे. जाहिर है कि मुख्यमंत्री योगी ने दोनों तस्वीरों के जरिए प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश पर आगे बढ़ने और इसी जोड़ी के दम पर यूपी की सत्ता में लौटने की प्रतिबद्धता जताने की कोशिश की है!
विरोधियों को जवाब था ये फोटो
योगी आदित्यनाथ जब अपनी सरकार के कामकाज की उदाहरण समते व्याख्या करते फिर रहे हैं तो विपक्ष के नेता ये हवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री मोदी तरजीह नहीं देते. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व 2022 में पार्टी की सत्ता में वापसी तो चाहती है लेकिन योगी आदित्याथ को मुख्यमंत्री बनते नहीं देखता चाहती. 16 नवंबर को अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर 6 सेकंड का वीडियो अपलोड किया था. जिसमें पूर्वांचल एक्सप्रेस पर प्रधानमंत्री गाड़ी में थे, जबकि योगी उनकी गाड़ी से नीचे और उनके पीछे पैदल जा रहे थे. पांच दिन बाद योगी आदित्यनाथ ने दो तस्वीरों के जरिए अखिलेश यादव को जवाब दिया है.
क्या संघ ने योगी के लिए रास्ता तैयार किया था?
सवाल है कि योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र मोदी को लेकर ऐसी चर्चा क्यों है? क्यों केंद्रीय नेतृत्व के साथ योगी के मतांतर की चिंगारी सुलगाई जा रही है? तो इसे समझने के लिए सीधे 2017 के फैसलों को याद कीजिए. तब केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का नाम मुख्यमंत्री के रेस में सबसे आगे था. कहा जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी और तबके बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह चाहते थे कि प्रचंड बहुमत के बाद मनोज सिन्हा यूपी की सत्ता संभालें. लेकिन अचानक योगी दिल्ली आए और पूरा समीकरण बदल गया. कहा जाता है कि संघ की लॉबी ने तब योगी के लिए सत्ता का रास्ता तैयार किया था.
6 महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी के एक करीब अफसर सेवा समाप्ति के बाद दिल्ली लौटे. नाम है एके शर्मा. उस समय तमाम तरह की चर्चा थी. कहा जा रहा था कि एके शर्मा को डिप्टी सीएम बनाकर योगी को किनारे लगाने की तैयारी है. ये भी कहा जा रहा था कि योगी मंत्रिमंडल में बडे़ स्तर पर बदलाव होगा. क्योंकि कोरोना काल में गंगा किनारे की कुछ तस्वीरें बीजेपी सरकार के लिए शर्म का? विषय बन गई थी. कोरोना के वक्त की अफतरा-तफरी से भी योगी सरकार सवालों में थी. हालांकि बाद के दिनों में कोरोना को लेकर योगी सरकार के काम की तारीफ भी हुई. परिवर्तन की चर्चाओं के बीच योगी आदित्यनाथ दिल्ली पहुंचे. प्रधानमंत्री से मिले. गृहमंत्री अमित शाह से मिले. अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले. और फिर पूरे आत्मविश्वास के साथ वापस हुए.
बीजेपी में मोदी के बाद कौन?
बीजेपी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने वाले सियासी विरोधी मोदी और योगी के बीच जो लकीर देख रहे थे या फिर दिखाने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री ने मुकम्मल जवाब दिया है. बीजेपी में अंदरखाने योगी का विरोध करने वाले नेताओं और इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करने वाले नेताओं को भी साफ-सरल स्पष्ट संदेश देती हैं कि बीजेपी के सत्ता में लौटने पर मुख्यमंत्री योगी ही होंगे. तस्वीरों से संदेश देने की कोशिश की गई है कि पीएम मोदी का योगी पर पूरा भरोसा है. वो उनके विश्वासपात्र हैं. योगी के कंधे पर प्रधानमंत्री मोदी का हाथ मुख्यमंत्री के आत्मविश्वास को न सिर्फ आकार दे रहा है, बल्कि सवाल उठाने वालों को भी लाजवाब कर रहा है.
इन तस्वीरों के जरिए योगी आदित्यनाथ उस चर्चा को भी हवा दे दी है कि बीजेपी में मोदी के बाद कौन? हिंदूवादी राजनीति के खांटी नेता को एक बड़ा धड़ा नरेंद्र मोदी का उत्तराधिकारी बताता है. क्योंकि योगी आदित्यनाथ के काम करने का स्टाइल, उनकी रणनीति, उनका हिंदूवादी चेहरा काफी हद तक नरेंद्र मोदी की तरह आक्रामक है. लेकिन एक और धड़ा है जिसका मानना है कि योगी आदित्यनाथ को नरेंद्र मोदी का उत्तराधिकारी मानना अभी जल्दबाजी है. क्योंकि उनके सामने कई बड़े नेता हैं. लेकिन दो गंभीर तस्वीरों के बाद योगी ने वहां भी दावेदारी मजबूत कर दी है. क्योंकि योगी के कंधे पर प्रधानमंत्री मोदी का हाथ है.
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Gulabi
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