सम्पादकीय

आपदा में अवसर खोजते नक्काल: नक्काल असली वैक्सीन से पहले बाजार में नकली वैक्सीन उतार सकते हैं

Gulabi
29 Nov 2020 10:21 AM GMT
आपदा में अवसर खोजते नक्काल: नक्काल असली वैक्सीन से पहले बाजार में नकली वैक्सीन उतार सकते हैं
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कोरोना की नकली वैक्सीनों में 2900 परसेंट रिजल्ट आएगा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना से आक्रांत पब्लिक ने जमकर आइपीएल देखा। टीवी पर दर्शक संख्या के रिकॉर्ड टूट गए। प्रसारक की झोली भर गई तो जाहिर है उसकी मुस्कान चौड़ी हो गई होगी, परंतु मेरी पेशानी पर बल पड़ गए। आइपीएल के कारोबारी अब दुआ न करने लगें कि हर साल कुछ इसी टाइप का मामला बन जाए। आखिर कोरोना टाइप हालात में आइपीएल अगर धुआंधार कमाई दे गया, तो कोरोना की कामना कोई क्यों न करे। केमिस्ट और अस्पतालों के बाद आइपीएल वाले भी कोरोना के लाभान्वितों में शुमार हो गए। उधर कोरोना का टीका विकसित करने वाले चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि कहीं टीके से पहले ही कोरोना विदा हो गया तो फिर उनके इन्वेस्टमेंट का क्या होगा? हालांकि असली के नाम पर नकली बेचने वालों की बांछें खिली हुई हैं। ऐसे ही एक नकलची ने कहा कि जितनी असली वैक्सीन बिकेगी, उससे कई गुना हम नकली वाली बेचेंगे और लोगों को असली वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट की टेंशन भी नहीं लेनी होगी।

कोरोना की नकली वैक्सीनों में 2900 परसेंट रिजल्ट आएगा

असल में कोरोना वैक्सीन से जितनी उम्मीद पब्लिक ने नहीं लगा रखी हैं, उससे ज्यादा नक्कालों ने लगाई हुई हैं। पूरी तैयारियां हैं। इस मुल्क के नक्काल इतने स्मार्ट हैं कि कहीं भाई लोग नकली वैक्सीन ही पहले न उतार दें। कोरोना की वैक्सीनों में किसी में 95 परसेंट रिजल्ट हैं, किसी में 90 परसेंट रिजल्ट हैं। कोरोना की नकली वैक्सीनों में 2900 परसेंट रिजल्ट आएगा, ऐसा मुझे एक नक्काल ने बताया कि 100 का माल 3000 का बिकेगा। विकट आशावादी हैं लोग। कोरोना वायरस अगर सुन रहा हो, तो समझ सकता है कि हर कोई उसका बुरा नहीं सोचता।

गांजा फूंकते हुए, फिर मास्क लगाते हुए, मास्क है जरूरी

भारतीयों को समझना आसान नहीं है। कोरोना की चिंता है, पर आइपीएल पर भी ध्यान पूरा दिया। उसके बाद सेलेब्रिटी भी कम नहीं है। अभी एक सेलेब्रिटी को गांजे के साथ गिरफ्तार किया गया, पर वह भी कोरोना को लेकर चिंतित दिखीं और मास्क लगाकर गिरफ्तार हुईं। गांजा सेहत को नुकसान पहुंचा दे, तो पहुंचा दे, पर कोरोना को नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे। गांजे का दम भी मास्क लगाकर ही लगाया जाए और कोरोना चेतना क्या होती है। इस कोरोना चेतना का इस्तेमाल होना चाहिए। उन सेलेब्रिटी को इश्तिहार में दिखाया जाए-गांजा फूंकते हुए, फिर मास्क लगाते हुए, फिर मास्क उतारकर फिर गांजा फूंकते हुए-मास्क है जरूरी-का संदेश साथ में चले। कोरोना की चिंता साथ चलती है, गांजा भी अलबत्ता साथ चलता है। गांजे की तलब और मास्क चेतना साथ चलती है।

फेफड़े तबाह हों तो गांजे से हों, पर कोरोना को तबाही न मचाने देंगे

गांजा फूंकने वालों को क्या चिंता फेफड़ों की, पर कोरोना मास्क चेतना है जी, फेफड़े तबाह हों तो गांजे से हों, पर कोरोना को तबाही न मचाने देंगे। कामेडियन की गिरफ्तारी गांजे के चक्कर में हो, तो सोचना पड़ता है कि ये हंसने-हंसाने वाले लोग भी गांजे के चक्कर में क्यों पड़ जाते हैं। जवाब यह मिल सकता है कि जैसे चुटकुलों पर हंसने-हंसाने की कोशिश कई कॉमेडियन करते हैं, उन पर हंसने के लिए सुनने वालों का भी गांजा पीना जरूरी लगता है। सामान्य आदमी वैसे चुटकुलों पर हंस ही नहीं सकता, जिनमें स्त्रियों का, किसी रोग, किसी अक्षमता का वीभत्स मजाक उड़ाया जाए। उन पर हंसने के लिए अमानवीयता का एक अंश जरूरी है, यह अंश गांजे या चरस से आ सकता है। कामेडियनों का गांजा लगाना इस तरह से समझ में आ सकता है।

कामेडियन मास्क में, नेता मास्क में, आम आदमी भी मास्क में है, बस कोरोना वायरस खुले में घूम रहा

इधर गौर से देखें तो कई तरह के अपराधी मास्क लगाकर फोटू खिंचाते हैं। मास्क लगाकर फोटू खिंचाने से अपराधी एकदम जागरूक टाइप लगने लगता है और एक तरह से उसकी बचत भी हो जाती है, कोई पूरे तौर पर पहचान नहीं पाता। इस तरह से आज का मास्कधारी जेबकतरा कल को विधायक बनने की तैयारी कर सकता है। कामेडियन भी मास्क में, नेता भी मास्क में, आम आदमी भी मास्क में है, बस कोरोना वायरस खुले में घूम रहा है। चूंकि अब साल उतार पर है तो साल के तमाम पहलुओं की चर्चा भी स्वाभाविक होगी। ऐसे में 2020 का वर्ड ऑफ द ईयर, सेलेब्रिटी ऑफ द ईयर का खिताब कोरोना की झोली में ही जाएगा। जैसे कवि और नेता मंच छोड़ने के तैयार नहीं होते, वैसे ही यह मुआ वायरस भी पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा।



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