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- नगा भरोसे की परीक्षा
एक लंबे अंतराल से पूर्वोत्तर शांत लग रहा था। उग्रवादी गुटों और भारत सरकार के बीच समझौते किए गए अथवा शांति-प्रक्रिया के लिए संवाद जारी रहे। नतीजतन कई उग्रवादी चेहरे राजनीति के जरिए मुख्यधारा में आए और विधायक, सांसद तक चुने गए, लेकिन अचानक नगालैंड में एक हिंसक कांड, मौतों की त्रासदी और स्थानीय लोगों के पलटवार ने परिदृश्य को बदल कर रख दिया है। सेना की गोलीबारी में 13 मासूम मौतें हो गईं। पलट हिंसा में 4 और जानें चली गईं। कई सैन्य वाहन फूंक दिए गए। करीब 100-150 ग्रामीणों ने असम राइफल्स के सैनिकों पर हमला बोल दिया, लिहाजा आत्मरक्षा में जवानों को गोली चलानी पड़ी। उसमें भी कुछ घायल हुए हैं। अब यदि राजनीतिक नेतृत्व, सुरक्षा बल-सेना और नागरिक समाज ने नगा लोगों का भरोसा जीतने के प्रयास नहीं किए, तो नगालैंड से अमन-चैन गायब भी हो सकता है। बीते माह मणिपुर में उग्रवादियों ने जिस तरह असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर, उनकी पत्नी और बेटे, चार सैनिकों की एक साथ हत्या की थी, उसके बाद नगालैंड में यह हिंसक कांड हुआ है।
Divyahimachal