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- मेरा हार्वर्ड का बुरा...
निधि राज़दान, मैं कहां से शुरू करूं? साल की शुरुआत इस 'खौफनाक' खबर के साथ हुई कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जिस जॉब के बारे में मैंने सोचा था कि वह मुझे मिल गया है, वास्तव में नहीं था. सात माह पहले, मैंने NDTV में अपनी नौकरी यह सोचते हुए छोड़ दी थी कि यह भारी दबाव वाले टेलीविजन के नॉन स्टाप 'न्यूज साइकल' से ब्रेक लेकर कुछ नया करने का अवसर है. जब मुझे पता चला कि जनवरी की उस सर्दी वाली रात में क्या हुआ है, तो मैं बेहद गुस्से, निराश और सदमे में थी. मैं इतने 'बड़े घोटाले' का शिकार आखिर कैसे बन सकती हूं? मुझे कैसे इसके बारे में पता नहीं चला? मैं एक साल तक उनके साथ संपर्क में थी जिनके बारे में मैं सोचती थी कि वे वास्तविक (Real) लोग हैं. उन्होंने मुझे डॉक्यूमेंट्स, लेटर्स, कांट्रैक्ट भेजे थे, उन्होंने मेरे बॉस को लिंक्स के साथ सिफारिश देने के लिए लिखा था (उन्हें भी नहीं लगा कि कुछ गड़बड़ है ). उस समय मैंने यह ब्लॉग NDTV के लिए यह बताने को लिखा था कि क्या हुआ था?