सम्पादकीय

लाइफ-स्टाईल बदलना होगा

Subhi
2 Jan 2022 1:28 AM GMT
लाइफ-स्टाईल बदलना होगा
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दु:ख की बात यह है कि 2021 में लोगों ने कोरोना महामारी के चलते अपने बहुत नजदीकियों को गंवाया। लेकिन खुशी की बात यह तकलीफें देते-देते यह साल भी निकल गया। अब नया साल आ गया है।

दु:ख की बात यह है कि 2021 में लोगों ने कोरोना महामारी के चलते अपने बहुत नजदीकियों को गंवाया। लेकिन खुशी की बात यह तकलीफें देते-देते यह साल भी निकल गया। अब नया साल आ गया है। प्रभु से प्रार्थना है कि सबके लिए सबकुछ शुभ हो और आप सभी को नववर्ष की हार्दिक बधाई। आप जानते ही हैं कि चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं और हमने इन चुनौतियों से डरना नहीं है बल्कि इनका सामना करना है। कैसे? इसका एक ही हल है। आओ अपने आपको बदल लें जीवन का स्टाईल बदल लें यही सबसे बड़ा मंत्र है जिसके दम पर हम कोरोना को सौ फीसदी मात देंगे। हमने पिछले दो सालों में टीकाकरण किया। कुल 131 करोड़ लोग से ज्यादा वैक्सीनेशन हो चुका है यह सरकारी तौर पर कोरोना को हराने का एक बड़ा यंत्र था। परंतु हमारे पास कोरोना पर विजय का एक मंत्र है जिसका नाम है लाईफ स्टाईल बदलो। जब हम सुरक्षा के साथ जियेंगे, उचित दूरी अर्थात सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आगे बढ़ेंगे। सैनिटाइजेशन करेंगे और मास्क लगाकर ही हर काम करेंगे तो यही तो है लाईफस्टाईल में बदलाव।आओ इसी परिवर्तन वाले लाइफस्टाईल के साथ चलें तो निश्चित रूप से कोरोना पर हमारी शत्-प्रतिशत विजय पक्की है। आज के समय में किसी चीज की गारंटी नहीं दी जा सकती लेकिन अगर हम नए लाइफस्टाईल के साथ चलेंगे और कोरोना के नियमों का पालन करेंगे तो निश्चित तौर पर सुरक्षा की गारंटी शत्-प्रतिशत है। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि जिंदगी में कभी भी सबकुछ स्थायी नहीं रहता। मैंने इस तथ्य के साथ खुद को जिया है और निष्कर्ष वही है कि जब सबकुछ सदा एक सा नहीं रहने वाला तो आओ फिर जिंदगी बदलकर जिएं। जब हमें जीना है और नियमों का पालन करना है तो फिर इसमें डरना और किसी को कोसने जैसी तथा गिले-शिकवे होने ही नहीं चाहिए। हां कोरोना का हमला जारी है। कल तक यह छिपा हुआ दुश्मन था। पिछले दो साल से हमने इस दुश्मन का सामना किया है। घरेलू स्तर पर, प्रशासनिक स्तर पर, राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर एक आम आदमी से लेकर हर खास आदमी तक हर कोई इस कोरोना के दुश्मन से लड़ा है। अब जब यह सामने आ ही गया है तो एकजुटता से इसका मुकाबला क्यों न किया जाये। पिछले दो साल में हमने इसकी चमड़ी उधेड़ दी है। हमारे देश में 4,80,781 से ज्यादा लोग इस कोरोना के खिलाफ जंग में मारे गए लेकिन 14,00,000 बाकी लोगों ने इसे हराया है और हमने इसे हराना है। नए साल पर इसी संकल्प के साथ कोरोना पर 100 फीसदी विजय पानी है। मंजिल दूर नहीं है। दुश्मन बड़ा शातिर है लेकिन अब इसका अंत निकट है। इस साल भी जाते-जाते इसने अपनी ऐंठ दिखा दी और ऑमीक्रॉन के रूप में हमारे से टक्कर लेने की कोशिश की है। अब यह डेल्टा वाली दूसरी लहर की तरह घातक नहीं रहा। हमें डरा रहा है और हमने डरना नहीं है। मजबूत इरादों के साथ हम लाइफस्टाईल बदलकर इसको पूरी दुनिया से चलता कर देंगे। बहुत ज्यादा हव्वा खड़ा करने से और डरने से बात नहीं बनने वाली। जो कोरोना से डर गया समझो वह मर गया। यह सोशल मीडिया पर अगर वायरल हो रहा है तो मैं समझती हूं कि हमने कोरोना से डरना नहीं इसको डराना हैऔर इसको मारना है। आप देश से लेकर विदेश तक और डब्ल्यूएचओ के जाने माने वैज्ञानिकों तक के तर्कों को पढ़ लो सबने यही कहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों के साथ-साथ मास्क और सैनिटाइजेशन के मंत्र को जिसने जीवन में उतार लिया कोरोना उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। आप लोग इसी नियम, इसी लाईफ स्टाइल के साथ चल रहे हैं। इसीलिए सुरक्षित है और नया साल इसी संकल्प के साथ मनाइये मेरी शुभकामनाएं हर कदम पर आपके साथ हैं। यह कोरोना भी हारेगा और इसका दम निकलेगा तब हम नए साल का जश्न मनायेंगे लेकिन नए मंत्र के साथ नववर्ष अभिनंदन तो हम अब भी कर ही रहे हैं और इस बदले हुए लाइफस्टाइल के लिए आप सबको बधाई और गुडलक।

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