सम्पादकीय

जानलेवा जुनून

Subhi
18 Feb 2022 3:43 AM GMT
जानलेवा जुनून
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In spite of all the awareness, campaigns and examples of many accidents in front of them, strange,

Written by जनसत्ता: तमाम जागरूकता अभियानों और अनेक हादसों के उदाहरण सामने होने के बावजूद विचित्र है कि युवाओं में खतरनाक ढंग से सेल्फी लेने, तस्वीरें खींचने-खिंचाने का जुनून कम नहीं हो पा रहा। न जाने कितने किशोर और युवा रेल पटरियों पर आती गाड़ियों के सामने, ऊंचे पहाड़ों, पुलों की खतरनाक ऊंचाइयों आदि पर पहुंच सेल्फी खींचने के चक्कर में मौत के मुंह में समा चुके हैं। ऐसी घटनाओं की खबरें तमाम अखबारों, टीवी चैनलों से दिखाई-बताई जाती रही हैं। इसे लेकर खूब बहसें भी चलीं, स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाए गए, पर हैरानी कि ऐसी घटनाएं घट जा रही हैं।

ताजा समाचार है कि गुरुग्राम में रेल की पटरियों पर वीडियो बना रहे चार युवक इसी तरह गाड़ी के नीचे आकर जान गंवा बैठे। ऐसा नहीं माना जा सकता कि उन युवाओं को इस खतरे का भान नहीं था, मगर उन पर खतरों से खेल कर तस्वीर उतारने और सोशल मीडिया पर चस्पां करने का ऐसा जुनून सवार था कि चालक के बार-बार भोंपू बजाने के बावजूद वे पटरी से नहीं हटे और तेज रफ्तार गाड़ी के नीचे आकर जान गंवा बैठे।

जब से हर हाथ में मोबाइल और इंटरनेट आया है, सोशल मीडिया पर युवाओं की सक्रियता बढ़ गई है। हालांकि कई युवा बहुत रचनात्मक काम भी कर रहे हैं, फिल्में वगैरह बना कर पैसे भी कमा रहे हैं, पर वहां बड़ी संख्या में ऐसे युवक भी मौजूद हैं, जो सिर्फ अपनी तस्वीरें डाल कर पसंद पाने का लोभ पाले रहते हैं। यू-ट्यूब आदि पर अपना चैनल चलाने, वीडियो डालने की मुफ्त व्यवस्था है, इसलिए बहुत सारे युवक गली-नुक्कड़ के खानपान, पहाड़ों-नदियों की सैर, प्रसिद्ध जगहों के बारे में जानकारियां देते हुए वीडियो डालते देखे जाते हैं।

कोई रसोई के नुस्खे डाल रहा है, तो कोई स्वास्थ्य, योगासन, आयुर्वेद आदि के अधकचरे ज्ञान उंड़ेल रहा है। सस्ती हंसी-मजाक वाली तस्वीरों के रसिया भी बहुत हैं। राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को लेकर हास्य-व्यंग्य के आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरों की भी वहां बाढ़ आई हुई है। इतने तरह की सामग्री सोशल मीडिया पर भरी पड़ी है कि आजकल हर युवा उनमें से अपने लिए सामग्री चुन ही लेता है और फिर उन्हीं के प्रभाव में खुद भी वैसी ही सामग्री परोसने का प्रयास करता देखा जाता है। गुरुग्राम के ताजा हादसे में जो चार युवक रेल के नीचे आकर मारे गए, उनमें भी कुछ इसी तरह का जुनून रहा होगा। तेज रफ्तार आती हुई रेल के साथ कुछ रोमांचक तस्वीर उतारने की कोशिश कर रहे थे।

दरअसल, आज की युवा पीढ़ी का रोमांच भी सोशल मीडिया से बनने-बिगड़ने लगा है। केवल तस्वीरें उतारने का नहीं, गीत-संगीत का शौक भी आजकल इस कदर बढ़ा है कि वे हर समय तेज आवाज में संगीत सुनते देखे जाते हैं। चाहे वे घर में हों, रास्ता चल रहे हों या किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर हों, सड़क पार कर रहे हों, कान में इयर प्लग ठूंसे तेज आवाज में गीत-संगीत सुनते और थिरकते देखे जाते हैं।

वाहन चलाते हुए भी तेज आवाज में संगीत चल रहा होता है। इसकी वजह से भी बहुत सारे युवा हादसों की भेंट चढ़ गए। हालांकि परिवहन विभाग ने इस तरह वाहन चलाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया है, मगर युवा कब नियम-कायदों को मानने लगे। उन्हें तो नियम तोड़ने में भी रोमांच अनुभव होता है। युवाओं में बढ़ती इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए परिवार और समाज के स्तर पर ही प्रयास हों, तो कुछ फलीभूत हो सकते हैं।


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