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Divyahimachal.
जब कभी तपोवन विधानसभा परिसर में सत्र का आयोजन होगा हिमाचल के राजनीतिक शिल्पकार, वीरभद्र सिंह याद आएंगे। आज से आहूत विधानसभा सत्र भले ही इसकी मकदार में छोटा है, लेकिन जिस विशालता से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांगड़ा जिला को यह मुकुट पहनाया, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसी तर्ज पर कांग्रेस के मुददे, मसले और सियासी मकसद, विधानसभा सत्र के आगाज को अंजाम तक पहुंचाने की करवटें लेंगे। पिछली सरकार के जिन वादों से वर्तमान सरकार मुकर गई या जिस हालात में विकास के पहिए क्षेत्रवाद की सौगात ढोते रहे, उनके कुछ चि_े खुलेंगे। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार के संबोधन अपने ही आंकड़ों से मेलजोल करेंगे, तो विपक्ष के श्वेत पन्नों पर अंकित पड़ताल का जिक्र भी होगा। सरकार के पास प्रदेश में सौ फीसदी वैक्सीनेशन का आंकड़ा है, तो एम्स, पीजीआई सेटेलाइट सेंटर की बुनियाद का जश्न भी रहेगा। घोषणाओं के कई अपवाद और घोषणाओं के कसूरवार जब आपस में मुकाबला करेंगे, तो विपक्ष भी अपनी रिक्तियां भरेगा। कांग्रेस के लिए यह सत्र जुबान और जायदाद का भी है, क्योंकि सदन के भीतर जो बोला जाएगा उसे बाहर राजनीतिक संपत्ति के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।