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- चंद्रधर शर्मा गुलेरी...
हिंदी साहित्य की 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध और 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक चरण का युग युगांतरकारी परिवर्तनों, परिवर्द्धनों और नव उत्थानात्मक दृष्टियों से सदैव स्मरणीय रहेगा। इस कालखंड में भाषा, साहित्य और रचना-शिल्प की दृष्टि से समृद्धि के साथ-साथ साहित्य की विभिन्न विधाओं के पदार्पण से हिंदी साहित्य भी संपन्न हुआ। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक साहित्योत्थान में पं. चंद्रधर शर्मा गुलेरी का नाम प्रथम पंक्ति के साहित्य सेवियों में लिया जाता है। गुलेरी जी उन हिंदी प्रेमियों में से हैं जिन्होंने स्वभाषा की संगठनात्मक, प्रचारात्मक और रचनात्मक दृष्टि से भरपूर सेवा की। कदाचित इसीलिए उनकी गणना आधुनिक हिंदी साहित्य के कर्णधारों में होती है। राज-सम्मान प्राप्त महान संस्कृतज्ञ, दार्शनिक और लब्ध प्रतिष्ठ विद्वान पं. शिवराम जी शास्त्री के घर उनकी तृतीय पत्नी लक्ष्मी से अमर कहानीकार श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 25 आषाढ़ संवत् 1940 (तदनुसार 7 जुलाई, सन् 1883 ई.) को जयपुर में हुआ। उस दिन शनिवार था। पं. चंद्रधर शर्मा गुलेरी अपने पिता के चिर प्रतीक्षित ज्येष्ठ पुत्र थे। इनकी जन्म कुंडली में कर्क राशि का स्वामी चंद्र था। इसीलिए पिता ने इनका नाम चंद्रधर रख दिया। शिवराम जी के परिवार में मुख्य कार्य पौरोहित्य का था। वह स्वयं तो पुरोहित थे ही, उनके दोनों भाई भी यही कार्य करते थे। उनमें से शिवदत्त जी के मोतीराम और चेतराम जी के राम लाल पुत्र हुए। इनकी शिक्षा-दीक्षा जयपुर में पं. शिवराम जी के पास ही हुई।
सोर्स- divyahimachal