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- एमएसएमई को राहत की...

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) चालू वित्त वर्ष के लिए देश की अर्थव्यवस्था के लिए ग्रोथ रेट घटा कर 9.5 फीसदी कर दिया है। इससे पहले अप्रैल में ग्रोथ रेट का अनुमान 12.5 फीसदी रखा गया था। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 8.5 फीसदी रखा गया है। पिछले सप्ताह एशियाई विकास बैंक ने भी आर्थिक ग्रोथ का अनुमान 9.5 प्रतिशत कर दिया था। मार्च और मई के बीच कोरोना की दूसरी लहर के कारण ग्रोथ को काफी झटका लगा है। दूसरी लहर के कारण लोगों की उम्मीदों को काफी आघात लगा है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने भारत सरकर द्वारा उठाए गए कदमों जैसे गरीबों को मुफ्त भोजन से लेकर स्वास्थ्य देखभाल खर्च और आरबीआई के रुख की सराहना की है। सरकार ने स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त खर्च का प्रावधान किया है। महामारी की सामाजिक लागत को कम करने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करने की सरकार की घोषणा भी काफी अच्छी है। सरकार राज्यों को मुफ्त टीके दे रही है। दूसरी लहर के परिणामस्वरूप अभूतपूर्व अनिश्चितताओं के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के उदार मौद्रिक रुख के चलते विभिन्न साधनों के माध्यम से पर्याप्त सिस्टेमेटिक लिम्बिडिटी बनी हुई है। गीता गोपीनाथ ने भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए छोटे कारोबारियों को और राहत पैकेज की जरूरत बताई है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार को कमजोर परिवारों, एमएसएमई को प्रोत्साहन देने और शिक्षा और कैपिटल एक्सपेंडिर बढ़ाने की जरूरत भी बताई है।
