- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- फिल्में और सैंसर
आदित्य चोपड़ा | केन्द्र सरकार ने सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2021 पर जनता से राय मांगी है, जिसमें फिल्मों की पायरेसी पर जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान प्रस्तावित है। इसमें केन्द्र सरकार को शिकायत मिलने के बाद पहले से प्रमाणित फिल्म को पुनः प्रमाणन का आदेश देने का अधिकार भी प्रस्तावित किया गया है। जहां तक फिल्म उद्योग का सवाल है वह पायरेसी की समस्या से बुरी तरह जकड़ा हुआ है। फिल्मों के पाररेटेड संस्करण जारी करने से फिलम उद्योग और सरकारी खजाने को बहुत नुक्सान हो रहा है। फिल्म उद्योग लम्बे अर्से से पायरेसी पर अंकुश लगाने की मांग कर रहा है। कई बार देखा गया है कि फिल्म रिलीज होने के तुरन्त बाद वह विभिन्न स्वरूपों में उपलब्ध हो जाती है या कुछ बड़े बजट की फिल्में रिलीज होने से पहले ही विदेशों में उपलब्ध होती हैं। वैसे तो यह धंधा महज कापी करने का है लेकिन इससे फिल्म निर्माताओं को करोड़ों का नुक्सान होता रहा है। फिल्म उद्योग को इस बात पर आपत्ति हो सकती है कि फिल्म सैंसर बोर्ड द्वारा सिनेमेटोग्राट दिए जाने के बाद शिकायत मिलने पर उसे दोबारा प्रमाणन के लिए भेजा जाए। सरकार का कहना है कि प्रस्तावित बदलावों से फिल्मों को अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन की श्रेणी में प्रमाणित करने से संबंधित प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव इसलिए है ताकि मौजूदा यू/ए श्रेणी को आयु के आधार पर और श्रेणियों को विभाजित किया जा सके।