- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कोरोना काल में आंदोलन
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसानों के आंदोलन को आज (बुधवार को) छह महीने पूरे हो रहे हैं। इस दौरान आंदोलन में उतार-चढ़ाव काफी आए, इसके रूप और तेवर में भी बदलाव आए, लेकिन यह आंदोलन जारी रहा। संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मई को काला दिवस के रूप में मनाते हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का आह्वान किया है। देश के 12 प्रमुख विपक्षी दलों ने इस आह्वान को अपना समर्थन दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर की ओर कूच भी कर चुके हैं। जाहिर है, किसान संगठन इस अवसर का इस्तेमाल करते हुए मंद पड़ते अपने आंदोलन को दोबारा तेज करने के मूड में हैं। तो क्या कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर के समाप्त होने से पहले ही देश में किसान आंदोलन की दूसरी लहर शुरू होने वाली है? कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी का प्रकोप देशवासियों को कैसी भयावह स्थिति में डाल सकता है, यह हमने अभी-अभी देखा है। उस स्थिति से अभी ठीक से उबरे भी नहीं हैं। बड़े शहरों के आंकड़े कुछ सुधरते दिख रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का सही-सही अंदाजा भी नहीं मिल रहा। ऐसे में किसानों के जत्थे का राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर इकट्ठा होना या देश के अलग-अलग हिस्सों में समूहों में निकलकर विरोध प्रदर्शन करना बेहद खतरनाक है।