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मासिक धर्म (Menstrual Cycle) बाधित होने के दौरान महिलाओं में मूड स्विंग की समस्या आम है
डॉ. इंद्रानी सालुंखे
मासिक धर्म (Menstrual Cycle) बाधित होने के दौरान महिलाओं में मूड स्विंग की समस्या आम है. खास तौर पर यह दिक्कत तब और ज्यादा होती है जब मासिक धर्म अपने आखिरी चरण में होता है. इसे आप सिर्फ मूड तक ही नहीं समझ सकते हैं, बल्कि इसकी वजह से महिलाएं चिड़चिड़ी हो जाती हैं. उन्हें नींद की कमी का भी सामना करना पड़ता है. महिलाओं में अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) की वजह से वेजाइनल ड्राइनेस, हॉट फ्लैशेस (आम तौर पर 40 साल की उम्र से तमाम महिलाओं में यह समस्याएं शुरू हो जाती हैं.) इसके साथ ही वजन बढ़ना, बालों का पतला होना और ब्रेस्ट के फैट में कमी होना भी शामिल है.
मासिक धर्म की अनियमितता की शुरुआत का एक लक्षण यह भी है कि शरीर कोलैजन बनाना बंद कर देता है. जिससे त्वचा भी प्रभावित होती है. इसके साथ ही महिलाओं की त्वचा के नीचे मौजूद फैट भी कम होने लगता है, जिसकी वजह से इलास्टिसिटी भी गिरने लगती है. यह परिवर्तन विशेष रूप से गर्दन, जबड़े और गालों के आस पास होता है, जिसकी वजह से वहां की स्किन ढीली पड़ जाती है.
क्या होता है मेनोपॉज
मेनोपॉज (Menopause)एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है, जो ज्यादातर आखरी बार आए मासिक धर्म के 12 महीने के बाद अपने संकेत देता है. लेकिन कुछ महिलाओं में मेनोपॉज जल्दी भी हो सकता है अगर उनके अंडाशय को सर्जरी द्वारा हटा दिया जाए. या फिर उन महिलाओं के साथ भी ऐसा होता है जो कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से गुजरती हैं. यदि किसी महिला की ऐसी सर्जरी की गई हो तो उसे मासिक धर्म की अनियमितता से गुजरना पड़ता है. इसे तीन चरणों में बांटा गया है. प्री मेनोपॉज, मेनोपॉज, पोस्ट मेनोपॉज.
कोई महिला अगर 45 साल की आयु के बाद जानना चाहती है कि वह मेनोपॉज से पीड़ित है या नहीं तो उसके लिए उसे एसआर एफएसएच जैसे जांच करानी होंगे. अगर वह इससे पीड़ित है तो ऐसी महिलाओं में सिम्युलेटिंग हार्मोन्स की मात्रा बढ़ जाती है. इसके साथ ही ऐसी महिलाओं में एस्ट्राडियोल के स्तर में गिरावट भी देखी जाती है. पोस्ट मेनोपॉज (Post Menopause) से पीड़ित महिलाओं में एस्ट्राडियोल का लेवल 30पीजी/एमएल होता है. जबकि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. इसके जरिए एक महिला के शरीर में जो बदलाव आता है, वह जीवन बदलने वाला होता है. इसकी वजह से कभी महिला अचानक से ऊर्जा से भरी महसूस करती है तो कभी वह बिल्कुल ही ऊर्जाहीन महसूस करती है.
महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत
परिवार के सदस्यों को किसी महिला में होने वाले इन उतार चढ़ावों को समझना चाहिए, और कोशिश करनी चाहिए कि इस दौरान उसकी ज्यादा से ज्यादा मदद की जाए. इस दौरान परिवार वालों को यह कोशिश करनी चाहिए कि महिला अपने जीवन के दृष्टिकोण के प्रति सकारात्मक बनी रहे. दरअसल तीन दशक तक एक एक्टिव लाइफ जीने के बाद जब एक महिला इस दौर से गुजरती है तो उसका डिप्रेशन, याद्याश्त कमजोर होना, मेमोरी पावर के वीक होने जैसी तमाम समस्याओं से सामना होना एक झटके की तरह होता है.
परिवार के समर्थन के अलावा इन महिलाओं को नियमित व्यायाम, सब्जियां, साबुत अनाज, ओमेगा 3 फैटी एसिड और मछली जैसे स्वस्थ भोजन लेने की आवश्यकता होती है, ताकि शरीर में होने वाले इस संक्रमण और परिवर्तन से वह निपट सकें. मेनोपॉज से पीड़ित महिलाओं के लिए व्यायाम में सबसे अच्छा होता है रोज टहलना, तैरना और ऐसे एक्सरसाइज करना जिससे शरीर मजबूत बन सके. इसके साथ ही इन महिलाओं को रोजाना एक संतुलित आहार लेना चाहिए. इसके साथ ही कुछ उपाय भी हैं जिन्हें उन्हें करना चाहिए, जैसे कि सर्वाइकल कैंसर और स्तन कैंसर के बारे में शुरू में ही जांच करा के पता लगा लेना चाहिए. इसके लिए उन्हें नियमित रूप से पैप और मैमोग्राफी टेस्ट कराना चाहिए.
Rani Sahu
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