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जॉइंट कार्टिलेज (Joints cartilage) में टूट-फूट की वजह से ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) होता है
डॉ. पुनीत मिश्रा
जॉइंट कार्टिलेज (Joints cartilage) में टूट-फूट की वजह से ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) होता है. स्वस्थ जॉइंट कार्टिलेज ही बिना दर्द और घर्षण के जॉइंट्स को चलाने में मदद करता है. इंसान के शरीर में घुटने (Knee) बेहद अहम होते हैं, क्योंकि पूरे शरीर का वजन इन पर ही टिका होता है. यही वजह है कि OA से सबसे ज्यादा प्रभावित घुटने ही होते हैं. हालांकि, OA के पीछे कई फैक्टर काम करते हैं, जिनमें बायोलॉजिकल, जेनेटिक, एथनिक, इमोशनल, एनवायरनमेंटल और साइकोलॉजिकल फैक्टर शामिल हैं. अब तक की स्टडी में यह सामने आया है कि पुरुषों की तुलना में इससे पीड़ित होने का खतरा महिलाओं में लगभग दोगुना होता है. महिलाएं जब अपनी उम्र के चौथे या पांचवें दशक में होती हैं तो उन्हें दर्द, जकड़न, चलने में दिक्कत और सीढ़ी चढ़ने में परेशानी आदि से जूझना पड़ता है. इस तरह की समस्याएं मेनोपॉज (Menopause) के बाद ज्यादा बढ़ जाती हैं.
अगर OA के खतरे के पीछे की सबसे बड़ी वजह की बात करें तो वह मोटापा है, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों को बेहद प्रभावित करता है. मेनोपॉज के बाद महिलाओं (50 साल से अधिक उम्र) का वजन अक्सर बढ़ जाता है, जिससे उनके घुटने के कार्टिलेज को ज्यादा बोझ सहना पड़ता है. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन कार्टिलेज को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. वहीं, मेनोपॉज के बाद इन हार्मोन्स की कमी से घुटनों में OA बढ़ सकता है, जिससे घुटने टेढ़े हो सकते हैं.
समय के साथ खराब होने लगते हैं घुटने के कार्टिलेज
शारीरिक रूप से देखा जाए तो महिलाओं के कूल्हे पुरुषों की तुलना में चौड़े होते हैं. ऐसे में कूल्हे की हड्डियों की वजह से एक चौड़ा एंगल बनता है, जो घुटनों के बाहरी हिस्से (नॉक नी पोजिशन) पर ज्यादा भार सहने वाला तनाव डालता है. यह समय के साथ घुटने के कार्टिलेज को खराब कर देता है. कई अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं में कार्टिलेज की मात्रा और मोटाई कम हो जाती है, जिसके चलते समान उम्र के पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या ज्यादा रहती है.
OA किसी भी व्यक्ति की जिंदगी पर असर डाल सकता है. खासतौर से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने और जमीन पर चलने की क्षमता भी घटाता है. जैसे-जैसे घुटने कमजोर होते हैं, जीवनशैली में बदलाव आने लगता है और तेज चलने, दौड़ने या मनोरंजक खेलों में शामिल होने जैसी एक्टिविटीज दूर की कौड़ी बन जाती हैं. धीरे-धीरे इसका असर आत्मसम्मान पर भी पड़ता है. इसलिए, समय पर जागरूक होने और घुटने के OA के इलाज की सलाह दी जाती है.
OA के खतरे को रोकने या घटाने के लिए सभी उम्र की महिलाओं को समय पर सावधानी बरतनी चाहिए. यदि वे पहले से ही इससे पीड़ित हैं तो इस पर रोक लगाने और भविष्य में बढ़ने से रोकने के लिए समय पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
महिलाएं इसके निपटने के लिए क्या कर सकती हैं?
शरीर का आदर्श वजन बरकरार रखने के लिए हेल्दी डाइट और नियमित रूप से वजन सहने योग्य एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है. विशेष रूप से प्रेग्नेंसी, लैक्टेशन और मेनोपॉज के बाद हीमोग्लोबिन, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन करना चाहिए. दरअसल, प्रेग्नेंसी, लैक्टेशन और मेनोपॉज के बाद हड्डियों का वजन घटाने और उन्हें कमजोर होने से बचाने के लिए यह बेहद जरूरी है.
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है, जिससे घुटनों के जोड़ों पर दबाव बढ़ जाता है. यह बढ़ा हुआ वजन अगर बाद में कम नहीं होता है तो घुटने के जोड़ों पर दबाव बना रहता है, जिससे घुटने में OA काफी तेजी से बढ़ने लगता है. ऐसे में हेल्दी बॉडी वेट बरकरार रखने और एक्सरसाइज के दौरान घुटने में चोट को रोकने के लिए रोजाना नियमित रूप से व्यायाम करना जरूरी है. हालांकि, इसके लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
खुद ही अपना इलाज करने, घुटने के दर्द को नजरअंदाज करने और डॉक्टर से समय पर सलाह नहीं लेने से समस्या के समाधान में देरी हो सकती है, जिससे घुटने के OA को बढ़ने से रोकने या उससे निजात पाने में समस्या हो सकती है. शुरुआती चरण में घुटने के OA को बढ़ने से रोकने या आखिरी स्टेज के गठिया से निजात दिलाने के लिए विभिन्न चिकित्सा (कार्टिलेज सप्लीमेंट्स, विस्को-सप्लीमेंट्स के इंट्राआर्टिकुलर इंजेक्शन) और सर्जिकल इंटरवेंशन (नी प्रीजर्वेशन सर्जरी) की सलाह दी जाती है, जिसके चलते पूरे घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी होती है.
Tagsमदर्स डे 2022
Rani Sahu
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