सम्पादकीय

उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भरता के नए ताने-बाने में मातृशक्ति, सरकार ने उठाए कई बड़े कदम

Gulabi
6 Jan 2022 5:00 AM GMT
उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भरता के नए ताने-बाने में मातृशक्ति, सरकार ने उठाए कई बड़े कदम
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सरकार ने उठाए कई बड़े कदम
डा. रहीस सिंह। भारत समकालीन विश्व में गतिशील लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण बन चुका है। इस लोकतंत्र में देश की मातृशक्ति एक निर्णायक शक्ति बने, इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2014 से तथा उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में वर्ष 2017 से निर्णायक कदम उठाए गए। इसका परिणाम यह हुआ कि मातृशक्ति सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के साथ न केवल सामाजिक आयामों को बदलने में महती भूमिका निभा रही है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक अर्थव्यवस्था तथा राष्ट्र व राज्य के विकास में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। अगर 21वीं सदी के पिछले दो दशकों में अंतरराष्ट्रीय पर हुए अध्ययनों और विमर्शो को देखा जाए तो उसमें लैंगिक समानता मुख्य विषय के रूप में है। इसी से जुड़े आयाम हैं- संसाधनों के आवंटन, उनका स्टेक (हिस्सा), प्रबंधन में उनकी भूमिका और अर्थव्यवस्था के उत्पादन में उनकी भूमिका तथा वितरण में उनका हिस्सा।
इन आयामों से शायद समानता या संसाधनों में उनका स्टेक (न कि केवल आय में) वह आयाम है जो महिलाओं के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाता है। इसके तहत घरों का स्वामित्व अधिकांशत: महिलाओं को प्रदान किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब 30 लाख घरों को स्वामित्व प्रदान किया है जिसमें 25 लाख महिलाएं हैं। यह महिला सशक्तीकरण का बेहतरीन उदाहरण है। योगी सरकार ने शुरू से ही महिलाओं की सुरक्षा, समृद्धि और स्वावलंबन के विजन के साथ ठोस कार्यक्रमों, योजनाओं को लागू किया। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री के 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' जैसे राष्ट्रीय आह्वान के क्रम में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की शुरूआत की।
यह योजना न केवल लिंगानुपात को संतुलित करने में निर्णायक साबित हुई है, बल्कि बेटी को जन्म के साथ ही स्वावलंबी बनने का आधार भी प्रदान कर रही है। इसके अंतर्गत सरकार कन्या के खाते में उसके जन्म के समय, फिर एक वर्ष की आयु पूर्ण होने पर, पहली कक्षा में प्रवेश के समय, छठी कक्षा में प्रवेश के समय, नौवीं कक्षा में और फिर स्नातक में प्रवेश के समय धनराशि हस्तांरित करेगी। अब तक करीब 10 लाख कन्याओं के बैंक खातों में इस योजना के अंतर्गत धनराशि हस्तांतरित की जा चुकी है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत 1.8 करोड़ बालिकाओं को लाभान्वित किया जा चुका है।
महिलाओं के मान की रक्षा और स्वच्छता की दिशा में भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों शौचालयों का निर्माण कराया गया। उज्ज्वला योजना के तहत दिए गए गैस कनेक्शन ने महिलाओं को न केवल कार्बन जनित बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की है, बल्कि उन्हें आत्मगौरव की अनुभूति भी कराई है। दरअसल भारत की सामाजिक-आर्थिक संरचना में छोटी-छोटी सुविधाएं अमीरी और गरीबी के बीच रेखाएं खींचती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उ"वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन देकर इस विभाजक रेखा को समाप्त कर महिलाओं में आत्मसम्मान का भाव जागृत किया।
महिला को स्वावलंबी बनाने की दिशा में योगी सरकार का एक अन्य कदम प्रत्येक ग्राम पंचायत में बैंकिंग करेस्पांडेंट सखी (बीसी सखी) की नियुक्ति का है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। प्रदेश सरकार की योजना की महत्ता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में इसे (बीसी सखी योजना) महिलाओं के जीवन में बड़े बदलाव का कारक माना। यह बैंकिंग सखी सरकार के भेजे पैसे को गांव की बेटी गांव में ही घर पर जाकर देगी। इस प्रकार के ट्रांजेक्शंस के बदले संबंधित बैंक बीसी सखी को कमीशन देगा और प्रदेश सरकार चार हजार रुपये प्रतिमाह का भत्ता।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, संत रविदास शिक्षा सहायता योजना, प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना, सेफ सिटी परियोजना, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, शबरी संकल्प अभियान, मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना, किशोरी बालिका योजना आदि ऐसी बहुत सी योजनाएं शुरू की गई हैं जो महिलाओं को सशक्त और खुशहाल बना रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले लगभग साढ़े चार वर्षो में स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया।
21 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने (प्रयागराज में) पोषाहार निर्माण संबंधी 202 इकाइयों का शिलान्याश किया और महिला स्वयं सहायता समूहों की 16 लाख महिला सदस्यों के बैंक खाते में एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान करते हुए स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भर भारत के चैंपियंस की संज्ञा दी। उल्लेखनीय है कि महिलाओं, किशोरियों और बच्चों की अनेक योजनाएं 2017 से पहले सही तरीके से नहीं लागू हो पाती थीं, क्योंकि उनपर माफिया का कब्जा था। मुख्यमंत्री योगी ने इसे समाप्त कर स्वयं सहायता समूहों को अधिकार प्रदान किया। अब स्वयं सहायता समूह स्थानीय स्तर पर ही खाद्य सामग्री को खरीदेंगे और पुष्टाहार का निर्माण कर उसकी आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे। इससे निम्नलिखित लाभ होंगे।
पहला-पोषाहार का निर्माण अब माफिया के हाथ से निकलकर मातृशक्ति (माताओं) के हाथ में गया। दूसरा- गुणवत्तापरक पुष्टाहार का निर्माण महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। तीसरा- इससे स्थानीय स्तर पर क्रय-उत्पादन- वितरण की एक आपूर्ति सीरीज कायम होगी जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में गुणवत्ता बढ़ाने का काम करेगी। चार- एक स्वयं सहायता समूह में कम से कम 15 से 20 महिलाएं काम करती हैं। यानी जिन एक लाख स्वयं सहायता समूहों को पहले चरण में यह अधिकार दिया गया है वे लगभग 15 से 20 लाख महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य करेंगे।
(लेखक आर्थिक एवं वैश्विक मामलों के विश्लेषक हैं)
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