सम्पादकीय

मातृ हंता पुत्र

Neha Dani
9 Jun 2022 8:07 AM GMT
मातृ हंता पुत्र
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दरअसल, कोरोना संकट के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प ने भी बच्चों को ऑनलाइन खेलों की लत लगाई है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की वह घटना रोंगटे खड़े करने वाली है जिसमें ऑनलाइन गेम खेलने से रोकने वाली मां को नाबालिग बेटे ने गोली चलाकर मार दिया। पश्चिम बंगाल में तैनात सेना के एक जूनियर कमीशंड अफसर के बेटे ने पिता के लाइसेंसी हथियार से अपनी मां को उस वक्त मार डाला जब वह रात में सो रही थी। प्रतिबंधित व विवादास्पद ऑनलाइन गेम पबजी खेलने का आदी यह किशोर इस बात से नाराज था कि मां उसे यह खेल नहीं खेलने देती। दुस्साहस की हद देखिये कि उसने मां के शव को दो दिन घर में छिपाये रखा और छोटी बहन को आतंकित किया कि किसी को खबर दी तो उसे भी मार देगा। जब घर में रखे मां के शव से बदबू आने लगी तो पिता को यह कहकर फोन पर भ्रमित किया कि किसी ने मां की हत्या कर दी। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा देखिये कि इस दौरान उसने दोस्तों को घर बुलाकर पार्टी की, बाहर से खाना मंगाया और दोस्तों के साथ पबजी खेला। यहां तक कि पिता को गुमराह किया कि पिछले दिनों घर में बिजली ठीक करने वाले इलेक्ट्रीशियन ने छत के रास्ते आकर मां को मार दिया। बाद में पुलिस की सख्ती व बहन के बयान से वह टूट गया। विडंबना देखिये कि बनारस के रहने वाले फौजी अफसर ने बच्चों को इसलिये लखनऊ में किराये का मकान लेकर रखा कि बच्चे राजधानी में अच्छी पढ़ाई कर सकें। अब तक ऐसी खबरें विदेशों से आती थी कि फलां लड़के ने छोटी सी बात पर मां-बाप की हत्या कर दी। श्रवण कुमार के देश में ऐसी घटनाएं विचलित कर रही हैं कि मोबाइल-इंटरनेट के दौर में हमारे बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं। प्लेयर अननोन बैटल ग्राउंड यानी पबजी को लेकर देश में कई हादसे पहले भी सामने आये हैं जिसकी शिकायत अभिभावकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी की थी।

हालांकि, चीन सीमा पर तनातनी के दौरान भारत सरकार ने सौ से अधिक चीन में विकसित ऐप्स पर बैन लगा दिया था। पबजी भी उसमें शामिल था। इसके बाद भारत में मां-बाप ने प्रतिबंध से राहत महसूस की थी, लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह बंद नहीं हुआ। हादसे फिर भी प्रकाश में आते रहे। बताते हैं कि इस खेल का मोबाइल वर्जन तो बंद हुआ लेकिन डेस्कटॉप वर्जन मौजूद रहा। चोर दरवाजे से भी यह खेल बदस्तूर जारी रहा। सितंबर 2019 में भी कर्नाटक के बेलगावी जिले में एक 21 वर्षीय युवक ने पबजी खेलने से मना करने पर अपने पिता की गला काटकर हत्या कर दी थी। दरअसल, इन खेलों की लत का शिकार हुए बच्चों से जब माता-पिता मोबाइल वापस लेते हैं तो बच्चों में चिड़चिड़ाहट व गुस्से के लक्षण दिखायी देते हैं। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि हिंसक गेम खेलने से बच्चे संवेदनहीन और आक्रामक होने लगते हैं। वे बाहरी दुनिया से कटकर ऑनलाइन गेमों को ही असली दुनिया मानने लगते हैं। कुछ को लगता है कि इन खेलों में दक्षता हासिल करके उनके लिये रोजगार के नये अवसर खुल जाएंगे। मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक बता रहे हैं कि उनके यहां बड़ी संख्या में ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं जो ऑनलाइन तकनीक के अधिक प्रयोग से अवसादग्रस्त हैं। गांवों के मुकाबले शहरों में यह लत ज्यादा है। एेसे लोग तनाव में होने के कारण हिंसक व्यवहार करने लगते हैं। दरअसल, इस लत को धीरे-धीरे छुड़ाने के लिये परामर्श देने की जरूरत है। इसके अलावा कई ऐसे मामले भी प्रकाश में आये हैं जिसमें ऑनलाइन गेम में पैसा गंवाने के बाद बच्चों ने आत्महत्या कर ली। कहने को तो ये गेम मुफ्त हैं लेकिन कुछ नियम बच्चों को भ्रमित कर पैंसे ऐंठने वाले भी हैं। कुछ स्वयंसेवी संगठनों की जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट केंद्र सरकार से बच्चों को ऑनलाइन गेम की आदत से मुक्त कराने के लिये राष्ट्रीय नीति बनाने को कह चुका है। दरअसल, कोरोना संकट के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प ने भी बच्चों को ऑनलाइन खेलों की लत लगाई है।

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