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मां तुम्हारे चरणों में जन्नत है।
पर यह जन्नत मेरे नसीब में नहीं मां,
क्योंकि हो गई आंखों से ओझल तुम,
हो गई आंखों से ओझल,
कर चली दुनिया से विदा,
रुला कर गई ममता तेरी,
छोड़ गई मझधार में मुझे,
देख आज की उन्नति मेरी
गर्व से कहती मुझे,
मन में मेरे तन में तेरे,
मेरा ही है खून चला।
थाम लेती आंसुओं को मेरे,
बहने ना देती यूं बेवजह,
होती अगर तू साथ मेरे।
ना बिलखती इस जहां में अकेले।
राह दिखाती इन मुश्किलों में मुझे,
ना छोड़ जाती मुझे तन्हा अकेले,
बाल गोपाल लिपटे रहते तुझसे,
देख इन नन्हे परिंदों को
आशियाना ढूंढती मेरे पास
इन नन्हें बालकों से ना दूर रह पाती
देती इनको ममता दुलार,
कहती हूं बारंबार,
तू जहां पर भी रहे,
आपका आशीर्वाद
बना रहे हम पर।
हो गई आंखों से ओझल,
कर चली दुनिया से विदा।
मां की ममता तुझको नमन।
तुझको नमन बारंबार।
तुझको नमन बारंबार।
तुझको नमन बारंबार।
मां श्रीमती स्वर्गीय दुर्गा कठौतिया
कृष्णा मानसी
( मंजू लता मेरसा)
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