सम्पादकीय

धरती माता सारी मांओं की जननी है; अपनी 'असली मां' के लिए शादी का गिफ्ट खरीदकर दें!

Rani Sahu
2 Dec 2021 6:06 PM GMT
धरती माता सारी मांओं की जननी है; अपनी असली मां के लिए शादी का गिफ्ट खरीदकर दें!
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किसी भी पारिवारिक शादी में हम सभी तोहफें खरीदते हैं

एन. रघुरामनकिसी भी पारिवारिक शादी में हम सभी तोहफें खरीदते हैं। यहां तक कि पहले के दिनों में अगर किसी को शादी का उपहार नहीं मिलता था, तो परिवार में झगड़े तक हो जाते थे। अगर मामला बजट से जुड़ा हो तो झगड़ा सुलझाने के लिए हमेशा दुल्हन की मां ही त्याग करती है। क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता लगी रहती है कि बेटी की शादी आराम से होनी चाहिए और उसे अपना जीवन हमेशा खुशी से जीना चाहिए।

इसी तरह एक और मां नवदंपति को अपना घर बनाने के लिए अपने अधिकांश परिधानों (पढ़ें पेड़) का बलिदान देती हैै, ताकि वे सुरक्षित रूप से अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें। पर चंद लोग ही अपनी शादी के दौरान उसी धरती माता के लिए नए परिधान खरीदते हैं और उसका आशीर्वाद चाहते हैं! ताज्जुब हो रहा है कि ये क्या है? आगे पढ़ें।
मुंबई में घाटकोपर के रहने वाले रीयल एस्टेट कारोबारी पराग शाह अपने पड़ोसी उपनगर, विख्रोली गुरुद्वारा में मियावाकी तकनीक से जंगल बना रहे हैं। इस साल 19 दिसंबर को होने वाली उनकी बेटी विधि की शादी में यह हरा परिधान उनकी ओर से धरती माता को तोहफा होगा। 1980 में जापान के वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी की इजाद यह तकनीक जमीन के छोटे से टुकड़े में जंगल की सतहों, पेड़, झाड़ियां, कैनोपी को दबाते हुए उन्हें छोटे जंगलों में तब्दील कर देती है।
यह पद्धति विविध देसी प्रजातियों के पौधरोपण की वकालत करती है, इससे एक जैसे पौधे रोपने के बजाय ज्यादा जैवविविधता आती है। इसका उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि पौधों का विकास 10 गुना तेजी से हो और परिणामस्वरूप वृक्षारोपण सामान्य से 30 गुना सघन हो। इसमें उसी हिस्से में दर्जनों देसी प्रजातियां लगाई जाती हैं और पहले तीन साल के बाद रखरखाव मुक्त हो जाती हैं।
पेरिस समझौते के तहत ग्रीन कवर 25-33% बढ़ाने के भारत के वादे से मियावाकी परियोजना में तेजी आई है। मैं इस पद्धति को बेहतर जानता हूं क्योंकि दक्षिण भारत में 10 हजार पेड़ों के जंगल बनाने में मेरे संबंधी इसका हिस्सा थे, जो कि वास्तव में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्रीरंगम मंदिर की छाया में कांक्रीट के जंगल में छुपा हुआ है।
इस शानदार ग्रीन कवर की नींव दशकों पहले नहीं रखी गई, बल्कि अक्टूबर 2020 में उस समय 1.65 एकड़ जमीन पर 200 से थोड़े ज्यादा लोगों ने इकट्‌ठे होकर 15 हजार पौधे लगाए थे। हाल ही में इस पद्धति को अपनाकर वनरोपण करने वाली जगहों में शामिल यह भारत के सारे शहरों का ध्यान खींच रही है।
विधि और उनके पति प्रणव रावल का परिवार अपने रिश्तेदारों को पहले ही बता चुके हैं कि वह हरेक के नाम पर एक पौधा लगा चुके हैं और धरती माता के फेफड़ों की मरम्मत में यह उनकी ओर से आहूति है। इन लोगों नेे बहुत सारे पौधे लगाए हैं पर आपको संख्या से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है, हर शादी में आप सिर्फ पांच पौधे लगाकर शुरुआत कर सकते हैं। और फिर उस ग्रीन कवर की संख्या की कल्पना करें जो हमारे देश में हर साल होने वाली एक करोड़ के आसपास शादियों के बाद तैयार होगा।
कम से कम मुंबई जैसे शहरों में जहां ये हरित जगह बनाने के लिए जगह की कमी है, वहां ठोस प्रयास हुए हैं। और शादी से बेहतर समय क्या हो सकता है, जहां दो लोग नया जीवन शुरू करने के लिए मिलते हैं। इसे ग्रीन वेडिंग कहें या वेडिंग विद ए डिफरेंस, आपके बच्चे जिस ग्रह पर रहेंगे, उसमें आपका योगदान याद करेंगे।
फंडा यह है कि धरती माता सारी मांओं की जननी है। अगर हम अपनी शादी में कुछ 'परिधान' खरीदें, तो वह हमें और आने वाली कई पीढ़ियों को आशीष देगी और उनकी रक्षा करेगी
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