सम्पादकीय

सबसे खतरनाक पाकिस्तान

Rani Sahu
16 Oct 2022 7:04 PM GMT
सबसे खतरनाक पाकिस्तान
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By: divyahimachal
अमरीकी राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन ने पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देशों में एक करार दिया है। उनसे पहले के राष्ट्रपति भी आशंकाएं जताते रहे हैं कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार जेहादी हाथों में जा सकते हैं। जाहिर है कि वे उनका दुरुपयोग कर दुनिया में एक नया खौफ और संकट पैदा कर सकते हैं। राष्ट्रपति बाइडेन का मानना है कि पाकिस्तान में बिखराव और अस्थिरता के हालात हैं। परमाणु हथियारों पर कोई निगरानी नहीं है और न ही बंदिशें हैं। अमरीका की रक्षा गुप्तचर एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान के पास फिलहाल 165 परमाणु वॉर हेड हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का आकलन है कि अगले तीन साल में पाकिस्तान 35 नए परमाणु हथियार बना सकता है और 2030 तक उसके पास 350 परमाणु हथियार हो सकते हैं। पाकिस्तान में परमाणु हथियारों का जखीरा दुनिया के लिए विनाशक खतरा है। अमरीकी राष्ट्रपति का सत्यापन खोखला नहीं है, बल्कि खुफिया सूचनाओं पर आधारित है। उन्होंने अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी की कांग्रेस अभियान समिति के सार्वजनिक मंच से पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देशों में शुमार किया। दरअसल बाइडेन रूस, चीन, उत्तरी कोरिया सरीखे देशों के साथ अमरीका के समीकरणों और विश्व की भू-राजनीतिक स्थितियों के खुलासे कर रहे थे। तभी उन्होंने पाकिस्तान पर यह टिप्पणी की, लेकिन भारत का नाम तक नहीं लिया। गौरतलब है कि हाल ही में अमरीका ने एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए पाकिस्तान को 450 मिलियन डॉलर (करीब 3600 करोड़ रुपए) की मदद देने की घोषणा की थी। सवाल यह है कि यदि पाकिस्तान खतरनाक देश है, जिसकी खुफिया लीड्स अमरीकी राष्ट्रपति को मिलती रही होंगी, तो यह आर्थिक मदद, भारत को बताए बिना ही, पाकिस्तान को क्यों दी गई? एफ-16 विमान अमरीका के हैं और उसने पाकिस्तान को बेचे थे।
क्या अमरीका के लिए विमान और हथियारों की बिक्री ही सब कुछ है? तो फिर सबसे खतरनाक वाली टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। यह अमरीका का दोगलापन भी लगता है। बहरहाल तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई न करने पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप ने, पाकिस्तान को, 200 करोड़ डॉलर की मदद तुरंत रोक दी थी। बेशक राष्ट्रपति बाइडेन ने पाकिस्तान के असली चेहरे को बेनकाब किया है। उसे आतंकी संगठनों का पनाहगाह देश माना है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों की हत्याएं की जा रही हैं। सुन्नी-शिया मुसलमान आपस में मार-काट कर रहे हैं। सरकार और सेना में कोई समन्वय नहीं है। सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का आतंकी संगठनों को समर्थन है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इतनी जर्जर है कि उसके नेता कटोरा लिए दुनिया भर में घूमते रहते हैं। देश अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के कजऱ् पर चल रहा है, लिहाजा ऐसे देश में कभी भी अराजक हालात पैदा हो सकते हैं। अमरीकी सीनेटर जॉन मैक्केन ने भी रपट दी थी कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं। अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा था कि परमाणु हथियारों पर तालिबान कब्जा कर सकता है। अब तो पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबान की ही हुकूमत है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी ऐसी ही आशंकाएं जताई थीं। दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान में बाढ़ का प्रलय-सा संकट अब भी है।
अवाम खाने को दाने-दाने को तरस रही है। ऐसी स्थितियों की किसे भी चिंता नहीं है, लेकिन पाकिस्तान इन हालात में भी हथियार खरीदने की बात करता रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को लेकर टिप्पणी की है, लेकिन बौखलाहट देखिए कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने जवाब में कहा है कि भारत के परमाणु हथियारों पर भी सवाल उठने चाहिए। हास्यास्पद है। भारत न तो दहशतगर्द देश है और न ही अमरीका समेत किसी भी प्रमुख देश ने भारत को 'खतरनाक देश' करार दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुखिया ने माना है कि मौजूदा आर्थिक मंदी के दौर में चारों तरफ जो अंधेरा फैला है, उसमें एकमात्र 'रोशन किरण' भारत ही है। भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और विकास दर भी करीब 7 फीसदी है, जो विश्व में सर्वाधिक है। ऐसे भारत पर सवाल कैसे उठाए जा सकते हैं? पाकिस्तान 18 अक्तूबर की चिंता करे, जिस दिन फाट्फ की बैठक है और पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर करने या अंदर ही रखने का फैसला लिया जाना है। उसके लिए भी पाकिस्तान अमरीका पर ही आश्रित है। देखते हैं कि वहां अमरीका का रुख क्या रहता है? अमरीका को यह बात समझ लेनी चाहिए कि पाकिस्तान हमारे कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है।
Rani Sahu

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