सम्पादकीय

चांद की सैर

Subhi
8 March 2021 12:56 AM GMT
चांद की सैर
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चांद हम इंसानों केलिए न केवल गहरे लगाव, बल्कि रोमांच का भी विषय है।

चांद हम इंसानों केलिए न केवल गहरे लगाव, बल्कि रोमांच का भी विषय है। आम तौर पर वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री ही बहुत प्रशिक्षण के बाद चांद तक पहुंच पाते हैं, बाकी लोगों के लिए ऐसी कोई गुंजाइश ही नहीं रहती। अब आम लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं कि उनके लिए भी चांद तक पहुंचने का मौका उपलब्ध हो गया है। जापानी उद्यमी युसाकु मेजावा, जिन्होंने आठ लोगों को डियर मून मिशन के लिए ले जाने की घोषणा की थी, उन्हें महज तीन दिन में तीन लाख से अधिक आवेदन मिल चुके हैं। दिलचस्प यह कि उन्हें सबसे ज्यादा आवेदन भारतीयों की ओर से मिले हैं। यह पहला नागरिक चंद्रमा मिशन है, जिसकी आठ सीटों को मेजावा ने खरीद रखा है। पहले उनकी इच्छा केवल कलाकारों को सैर कराने की थी, लेकिन अब उन्होंने कलाकार की परिभाषा का विस्तार कर दिया है। उनका कहना है, जीवन में जो भी व्यक्ति कुछ नया सृजन कर रहा है, वह कलाकार है। जाहिर है, अब आम आवेदकों के सपनों को भी मानो पंख लग गए हैं। भारत ही नहीं, दुनिया के 237 से अधिक देशों-क्षेत्रों से चंद्र मिशन के लिए लालायित लोगों की संख्या चर्चा का विषय बन गई है। भारत के बाद अमेरिका, जापान, फ्रांस व ब्रिटेन के लोग भी चांद पर जाने को ज्यादा इच्छुक हैं। दरअसल, इस डियर मून प्रोजेक्ट को विख्यात उद्यमी और दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में शुमार एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने वर्ष 2018 में पेश किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत ही जापानी अरबपति मेजावा ने पहले यात्री के रूप में अपना नाम लिखवाया था। इतना ही नहीं, मेजावा ने इस मिशन की आठ सीटों को बाकायदे पैसे देकर खरीद रखा है। उन्होंने इसके लिए कितने पैसे खर्च किए हैं, इसका पता नहीं, लेकिन अरबों डॉलर में भुुगतान हुआ हो, तो आश्चर्य नहीं। आम लोगों के लिए खास यह कि उन्हें मुफ्त में ही चांद की सैर का मजा मिलेगा। इस मिशन के तहत चांद तक पहुंचने और लौटने में तीन-तीन दिन लगेंगे व एक दिन चांद के पास रहना संभव होगा। ऐसे में, पूरे सप्ताह भर का ऐतिहासिक रोमांच पूरी दुनिया में छाया रहेगा। यदि स्पेसएक्स के अभियान में कोई अड़चन न आए, तो यह सपना वर्ष 2023 में साकार हो जाएगा। मेजावा की इच्छा स्वागतयोग्य है, वह चाहते हैं कि जो भी लोग इस मिशन पर जाएं, वे लौटकर दुनिया को बहुत अच्छी तरह से बताएं कि उन्होंने चांद के पास क्या देखा।यह अपने आप में बहुत उत्साह जगाने वाली बात है कि जो काम सरकारें नहीं कर पा रही हैं, उन्हें पूरा करने का बीड़ा दुनिया के एक-दो अमीर उद्यमी उठा रहे हैं। चांद के प्रति सरकारों का लगाव 40 साल पहले ही कम हो गया था। शीतयुद्ध के खत्म होने के बाद तो चांद पर पहुंचकर खुद को सिद्ध करने की जरूरत ही नहीं रही। फिर भी इस सदी में अंतरिक्ष पर्यटन की चर्चा लगातार होती रही है और उसमें भी एलन मस्क का सपना सबसे ज्यादा चर्चित है। एलन मंगल पर बस्ती बसाना चाहते हैं। आम लोगों को चांद पर पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन यह काम कतई आसान नहीं है। अफसोस, इन दिनों स्पेसएक्स को अपने अभियानों में नाकामी ज्यादा मिल रही है। फिर भी तय है, एक दिन आम लोग भी चांद पर जरूर पहुंच सकेंगे, लेकिन इसके लिए कई उद्यमियों और वैज्ञानिकों को मिलकर काम करना पड़ेगा।


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