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संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे से होने के आसार, पीएम की अपील- सदन में शांतिपूर्ण ढंग से हो चर्चा

संसद के मानसून सत्र के पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री की ओर से विपक्ष से यह जो अपील की गई कि सदन में सार्थक और शांतिपूर्ण ढंग से चर्चा होनी चाहिए, वह कितना असर करती है, इसका पता पहले दिन ही चल जाएगा। आम तौर पर संसद के प्रत्येक सत्र की शुरुआत हंगामे से ही होती है। ऐसा इसके बावजूद होता है कि सरकार सभी मसलों पर सार्थक चर्चा के लिए तैयार होती है। सरकार की तैयारी के बाद भी विपक्ष कई बार अपनी ओर से उठाए गए मुद्दों पर बहस के लिए अड़ जाता है और कभी-कभी तो इस पर तकरार हो जाती है कि बहस किस नियम के तहत हो? ऐसा लोकसभा में भी होता है और राज्यसभा में भी। संसद के ऐसे सत्रों का स्मरण करना कठिन है जब संसदीय कार्यवाही बाधित न हुई हो। वास्तव में अब संसदीय कार्यवाही धीर-गंभीर चर्चा के लिए बहुत कम जानी जाती है। यदि संसद को अपनी उपयोगिता और महत्ता कायम रखनी है तो यह आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है कि वहां पर राष्ट्रीय महत्व के मसलों पर सार्थक चर्चा हो। यह चर्चा ऐसी होनी चाहिए, जिससे देश की जनता को कुछ दिशा मिले। संसद में राष्ट्रीय महत्व के प्रश्नों पर सार्थक चर्चा के लिए दोनों ही पक्षों को योगदान देना होगा। संसद सत्र के पहले सर्वदलीय बैठकों में इसके लिए हामी तो खूब भरी जाती है, लेकिन अक्सर नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही अधिक रहता है।