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- मॉनसून सत्र: पक्ष और...
नीरजा चौधरी .
पिछले सप्ताह भाजपा की दिवंगत नेत्री सुषमा स्वराज का एक वीडियो वायरल हो रहा था। वह 2014 के चुनाव से ठीक पहले लोकसभा में बोल रही थीं। ऐसा लग रहा था, मानो उनके शब्द किसी और युग के हों। उनका भाषण बेहतरीन था, जिसमें वह विरोधी पक्ष के नेताओं की भी तारीफ कर रही थीं। उन्होंने कमलनाथ की 'शरारत', सुशील कुमार शिंदे की 'शराफत' और सोनिया गांधी के मध्यस्थ की भूमिका निभाने के बारे में कहा। उन्होंने कभी अपना आपा न खोने के लिए तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की सराहना की और बताया कि उनकी अपनी पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बार-बार सलाह दी कि संसद की गरिमा को हर कीमत पर बनाए रखा जाना चाहिए। अलबत्ता उनकी पंच लाइन अलग थी। उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा, हमें हमेशा याद रखना होगा कि हम 'विरोधी' हैं, न कि 'शत्रु'। विचारधारा, नीति और कार्यक्रमों को लेकर हमारा मतभेद है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम संवाद खत्म कर दें। आज संसद में यही होता दिख रहा है।