सम्पादकीय

तीन तरीकों से फैलता है Monkeypox Virus, भारत में इसका आउटब्रेक कितना खतरनाक होगा?

Rani Sahu
31 May 2022 8:48 AM GMT
तीन तरीकों से फैलता है Monkeypox Virus, भारत में इसका आउटब्रेक कितना खतरनाक होगा?
x
दुनियाभर में मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) का खतरा लगातार बढ़ रहा है

पंकज कुमार |

दुनियाभर में मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) का खतरा लगातार बढ़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अब तक 23 देशों में इसके 257 मामले आ चुके हैं. चिंता की बात यह है कि इस वायरस के केस उन देशों में आ रहे हैं, जहां ये वायरस आम तौर पर नहीं मिलता है. हालांकि राहत की बात यह है कि मंकीपॉक्स से फिलहाल किसी मरीज के मौत की पुष्टि नहीं हुई है. WHO का कहना है कि ऐसा पहली बार है जब मंकीपॉक्स वायरस के मामले मध्य अफ्रीका में फैल रहे हैं. अगर ये वायरस म्यूटेशन करता है और कमजोर इम्यूनिटी वालों को संक्रमित करता है, तो इससे जोखिम बढ़ सकता है. ऐसे में सभी देशों को इससे बचाव के लिए सख्त कदम उठाने होंगे. सर्विलांस, टेस्ट और संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग करनी होगी. इस वायरस से प्रभावित देशों से आने वाले लोगों पर भी खास निगरानी करनी होगी. तभी इस वायरस का प्रसार रोका जा साकेगा.
मंकीपॉक्स वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत में भी अलर्ट हो गया है. मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की खास निगरानी की जा रही है. जिन इलाकों में ज्यादा पर्यटक आते हैं, वहां से टेस्ट के लिए सैंपल लिए जा रहे हैं. हालांकि भारत में मंकीपॉक्स का अभी तक कोई मामला नहीं आया है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर भारत में मंकीपॉक्स का आउटब्रेक हुआ तो ये तेजी से भी फैल सकता है, हालांकि ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि देश में इसका ट्रांसमिशन किस प्रकार से होगा.
कोरोना से ज्यादा खतरनाक हो सकता है मंकीपॉक्स?
इस बारे में सफदरजंग हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जुगल बताते हैं कि मंकीपॉक्स का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन का है. यानी, इतने दिन में मरीज में कभी भी इसके लक्षण दिख सकते हैं. इस दौरान मरीज के शरीर में वायरस ग्रोथ कर रहा होता है. जब बुखार होता है और टेस्ट किया जाता है तब पता चलता है कि मरीज इस वायरस से संक्रमित है. चिंता की बात यह है संक्रमित होने के 21 दिन बाद ये वायरस खांसी और जुकाम के जरिए भी फैल सकता है. ये संक्रमित मरीज को छूने से भी होता है और ब्लड के जरिए भी फैलता है. यानी इस वायरस के फैलने के कई तरीके हैं. ऐसे में अगर इसका आउटब्रेक हुआ, तो ये कोरोना से भी ज्यादा तेजी से फैल सकता है.
डॉ. ने बताया कि अगर ये वायरस फैला तो इसकी वजह से कोरोना से भी ज्यादा मौतों होने की आशंका है. क्योंकि मंकीपॉक्स वायरस में डेथ रेट 6 प्रतिशत तक हैं, जबकि कोरोना में ये सिर्फ 2 फीसदी है. इसमें खतरनाक बात यह है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में जो दाने मौजूद हैं. वे शरीर में कई प्रकार की बीमारियां पैदा कर सकता है. ये वायरस चेचक की तरह ही है और वैसा ही नुकसान भी कर सकता है.
हालांकि, इससे 90 फीसदी तक मरीज रिकवर भी हो जाते हैं, लेकिन 10 प्रतिशत मरीजों को मंकीपॉक्स वायरस से काफी खतरा हो सकता है. ये वायरस दिमाग, हार्ट और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. यह अगर इंसानों में फैलने लगा तो किसी महामारी का रूप भी ले सकता है. इसलिए किसी भी सूरत में मंकीपॉक्स के वायरस को हल्के में नहीं लेना चाहिए.
क्या वायरस से बचने के लिए हमारे पास साधन हैं?
प्रोफेसर किशोर का कहना है कि देश में मंकीपॉक्स से बचने के लिए साधन मौजूद हैं. जो चेचक की वैक्सीन है, वही वैक्सीन इससे बचाव कर सकती है. उस वैक्सीन को बनाने के लिए हमें अलग से प्रयास करने की जरूरत नहीं है. कभी भी इस वैक्सीन को लोगों को लगाया जा सकता है. इसके अलावा इस वायरस से बचने के लिए हमारे पास एंटीवायरल दवाएं भी हैं. ऐसे में अगर भारत में इस वायरस का कोई केस आता है तो खास सावधानी बरतते हुए संक्रमितों के लक्षणों पर नजर रखनी होगी और अगर केस तेजी से बढ़ते हैं तो टीकाकरण भी करना होगा. हालांकि अगर समय रहते संक्रमितों को आइसोलेट किया गया और लोगों को इस वायरस के बारे में जागरूक किया गया तो भारत में इससे खतरा नहीं होगा.
बचाव के लिए क्या करें
एक्सपर्ट कहते हैं कि इस वायरस से बचाव का तरीका भी वही है, जो अन्य वायरस से है. सबसे जरूरी है कि हैंड हाइजीन का ध्यान रखें. किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में न आएं, जिसके शरीर पर दाने हों या उसे बुखार हो. घर में साफ सफाई का ध्यान रखें. अगर कोई जानवर बीमार है तो उससे दूर रहें. फिलहाल कुछ समय तक जंगलों में जाने से बचें.

सोर्स- tv9hindi.com

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story