सम्पादकीय

मामा शिवराज सिंह चौहान की बहनें-भांजियां एक ताकत बनकर मध्य प्रदेश में तेजी से उभर रही

Gulabi
4 Feb 2021 4:45 PM GMT
मामा शिवराज सिंह चौहान की बहनें-भांजियां एक ताकत बनकर मध्य प्रदेश में तेजी से उभर रही
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नारी सशक्तीकरण और बालिका संरक्षण को लेकर देश के अधिसंख्य अंचलों में असाधारण प्रयत्न किए जा रहे हैं।

नारी सशक्तीकरण और बालिका संरक्षण को लेकर देश के अधिसंख्य अंचलों में असाधारण प्रयत्न किए जा रहे हैं।केरल समेत कई राज्य इस अभियान में बहुत आगे निकल चुके हैं, यद्यपि इसे लेकर मध्य प्रदेश सरकार, खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयास हृदयस्पर्शी हैं। प्रदेश में अब कोई भी सरकारी समारोह कन्या पूजन के साथ शुरू होता है। समारोह में यदि मुख्यमंत्री मौजूद हैं तो वह खुद बच्चियों के चरण पखारकर पूजन करते हैं, अन्यथा जो भी मंत्री, जनप्रतिनिधि या अधिकारी मौजूद होता है, वह विधि-विधान से कन्या पूजन करता है। यह व्यवस्था सिर्फ सरकारी समारोहों के लिए की गई है, यद्यपि इसकी


देखा-देखी अब स्वत:स्फूर्त तमाम निजी संस्थान भी अपने समारोह कन्या पूजन से शुरू करने लगे हैं। कन्या पूजन श्रेष्ठ सनातन परंपरा है, यद्यपि मौजूदा संदर्भो में इसके जरिये बालिका संरक्षण को भी बल मिल रहा है। मुख्यमंत्री की यह सोच पूरे प्रदेश में चर्चित एवं लोकप्रिय हो रही है। दरअसल मध्य प्रदेश में बालिका संरक्षण की शुरुआत करीब 15 वर्ष पहले 2005 में हुई, जब शिवराज सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने। इसके कुछ दिन बाद उन्होंने प्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना शुरू की जिसमें कन्या के जन्म लेते ही राज्य सरकार उसके पालन-पोषण, शिक्षा, विवाह और आत्मनिर्भरता की वित्तीय जिम्मेदारी ले लेती है। यह योजना इस कदर प्रभावशाली साबित हुई कि कई अन्य राज्यों ने इसे अपनाया।

मुख्यमंत्री बताते हैं कि लाडली लक्ष्मी योजना लागू करने के बाद उन्होंने पूरे प्रदेश का भ्रमण किया जिसमें महिलाओं से मिलकर उनके हालचाल और हालात की जानकारी लेना मुख्य लक्ष्य था। वह महिलाओं को बहन कहकर पुकारते थे तो उनके बच्चे उन्हें मामा कहने लगे। बाद में वह हर किसी के मामा हो गए। देश में इससे पहले सिर्फ जवाहर लाल नेहरू को ही उनके बाल-प्रेम के लिए चाचा संबोधन मिला था।

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में नारी सशक्तीकरण, खासकर बालिका संरक्षण को लेकर अद्भुत कार्य हुआ है। लाडली लक्ष्मी योजना के बाद 15 अन्य सरकारी योजनाएं चलाई गईं, जिनके जरिये अलग-अलग आयुवर्ग, सामाजिक-पारिवारिक स्थिति और दशा-दिशा के आधार पर बालिकाओं को संबल और प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पिछले महीने पूरे प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए 15 दिन जागरूकता अभियान चलाया गया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा से संबंधित मामलों में किसी भी तरह की शिथिलता स्वीकार्य नहीं होगी। सुरक्षा के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य की फिक्र भी प्रदेश सरकार के एजेंडे में है।
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष के दौरान सहरिया, बैगा और भारिया जनजातियों की करीब सवा दो लाख महिलाओं को आहार अनुदान के रूप में 261 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। प्रदेश में महिलाओं को आíथक रूप से स्वावलंबी बनाना शिवराज सरकार का खास एजेंडा है, जिसके तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में महिलाओं के करीब 75 हजार स्व-सहायता समूहों को 984 करोड़ रुपये ऋण उपलब्ध करवाया गया है। नारी सशक्तीकरण एजेंडे के प्रति मध्य प्रदेश सरकार की प्राथमिकता इस बात से भी समझी जा सकती है कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन में प्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर है।

मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है, जिसके विभिन्न अंचलों में भ्रमण करते हुए आपको महिलाएं, खासकर युवतियां नकारात्मक रीतियों और परंपराओं की बंदिशें तोड़ती दिखती हैं। सुखद अनुभूति होती है, जब प्रदेश के आदिवासी अंचलों में भी महिलाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, जनसंख्या नियंत्रण, रोजगार और आत्मनिर्भरता की छटपटाहट दिखती है। दरअसल शिवराज सिंह सरकार ने करीब 15 वर्ष पहले लाडली लक्ष्मी और अन्य योजनाओं के जरिये बालिका कल्याण की जो मुहिम शुरू की थी, वह पीढ़ी अब बालिग होकर समाज की कमान संभालने को तैयार दिख रही है।


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