सम्पादकीय

मोदी का 'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' : विकास और सामरिक शक्ति का प्रतीक

Gulabi
17 Nov 2021 10:59 AM GMT
मोदी का पूर्वांचल एक्सप्रेसवे : विकास और सामरिक शक्ति का प्रतीक
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मोदी का ‘पूर्वांचल एक्सप्रेसवे’
ज्योतिर्मय रॉय.
अगर नेतृत्व में भविष्य देखने की क्षमता और उसे साकार करने कि दृढ़ता हो, तो नया इतिहास रचा जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में 'पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे' का उद्घाटन कर, नया इतिहास रचा है. 'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे', विकास और पराक्रम का 'भरत मिलाप' है. एक्सप्रेसवे की एक त्रिआयामी भूमिका भी है, विकास, रोजगार और सामरिक शक्ति. 'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' को लेकर, नरेंद्र मोदी ने एक तीर से दो निशाना साधा. 'विश्वगुरु' होने के लिये शांति के पुजारी होना जितना जरूरी है, उतनी ही आवश्यकता है विकास और पराक्रम को साथ में लेकर चलने की. यह केवल एक कुशल नेता ही कर सकता है, जो नरेंद्र मोदी हैं.
'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' विकास के साथ-साथ सामरिक ताकत का प्रतीक है. उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां 'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' पर 3-3 हवाई पट्टियां बनाई गई हैं. उद्घाटन के उपलक्ष्य में एक एयर शो का आयोजन किया गया. इस एयर शो में सुखोई, मिराज, राफेल, एएन 32, सूर्यकिरण जैसे विमानों ने भाग लिया. एक्सप्रेस-वे पर बनाई गई इमरजेंसी एयरस्ट्रिप पर मिराज-2000 फाइटर को लैंडिंग करते हुए देखा गया, यहां युद्ध विमान में तेल भरने का प्रदर्शन भी किया गया. वायु सेना के परिवहन विमान एएन-32 द्वारा कमांडो को एक अभियान को अंजाम देने के लिए एक्सप्रेसवे पर उतारा गया. उल्लेखनीय है कि, इससे पहले भी भारतीय वायु सेना ने हरक्यूलिस, जगुआर, मिराज 2000 और सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमानों को आगरा एक्सप्रेसवे पर सफलतापूर्वक उतारा है.
नरेंद्र मोदी की रणनीति का हिस्सा है 'ईस्टर्न एक्सप्रेसवे'
'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' पर पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान की गिद्ध दृष्टि है. यह आने वाले दिनों में संभावित चीनी हमले का मुकाबला करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति का हिस्सा है. सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि 'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' भविष्य में भारतीय वायुसेना के लिए काफी मददगार साबित होगा. सुल्तानपुर जिले के कुरेवर में 'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' पर 3.3 किलोमीटर का 'वन स्लाइस' रनवे है, जो राज्य के आठ जिलों को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जोड़ता है. मोदी भारतीय वायु सेना के दूसरे सबसे बड़े परिवहन विमान C-130J सुपर हरक्यूलिस में सवार 'पूर्वांचल एक्सप्रेसवे' के उद्घाटन स्थल पर उतरे.
आपातकाल की स्थिति को छोड़कर, इस प्रकार के रनवे को प्रधानमंत्री जैसे शख्स के लिए उपयोग करना, जोखिम भरा है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस तरह के जोखिम भरे प्रयोग का उद्देश्य एक्सप्रेस-वे की गुणवत्ता, वायुसेना की कुशलता पर आस्था और दुश्मनों को संदेश देना है. स्पष्ट रूप से यह एक प्रशंसनीय, लेकिन जोखिम भरा कदम है. प्रधानमंत्री के इस तरह के कदम से देशवासियों में सुरक्षा का विश्वास बढ़ता है.
भारत 1962 की गई गलती को दोहराना नहीं चाहता
हरक्यूलिस विमान ने कुछ साल पहले लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के एक सेक्शन पर भी टेस्ट लैंडिंग की थी. युद्ध के दौरान, दूरस्थ क्षेत्र के छोटी हवाई पट्टी पर सैनिक, रसद आपूर्ति और हथियारों को पहुंचाने में अमेरिकी निर्मित हरक्यूलिस का कोई जबाव नहीं है. पड़ोसी मुल्क चीन शुरू से ही भारत के प्रति आक्रामक रहा है. भारत अब 1962 के भारत-चीन युद्ध में की गई गलती को फिर से दोहराना नहीं चाहता है. चीनी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए सेना ने उत्तरी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी एयर फ़ोर्स बेस पर एविएशन इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है.
देश के हित में है अतिरिक्त आपातकालीन एयर स्ट्रिप
सैन्य दृष्टिकोण से कुरेवर "बेहद महत्वपूर्ण" है. युद्ध के समय यहां से उत्तराखंड और सिक्किम की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक साथ सेना और सैन्य सामग्री भेजे जा सकते हैं. इसके अलावा सुखोई-30, मिराज-2000 जैसे युद्ध विमान भी इस रनवे से उड़ान भर सकेंगे. भारतीय वायु सेना के कानपुर, बरेली और गोरखपुर एयरबेस कुरेवर हवाई पट्टी के पास स्थित हैं. आपात स्थिति में सुल्तानपुर के इस एक्सप्रेस-वे पर विमान को वहां से हटाया भी जा सकता है. वायु सेना की भविष्य में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गोरखपुर एक्सप्रेसवे पर इसी तरह के रनवे बनाने की योजना है.
युद्ध के समय हवाई अड्डे दुश्मन का प्राथमिक लक्ष्य होते हैं. युद्ध के दौरान वायु सेना को पंगु बनाने का सबसे आसान तरीका हवाई अड्डे को नष्ट करना है. एयरपोर्ट के नष्ट होते ही युद्धक विमानों की टेक-ऑफ और लैंडिंग ठप हो जाती है, जिससे वायु सेना अचल हो जाती है. इसलिए वायुसेना के पास इस प्रकार के अतिरिक्त आपात कालीन एयर स्ट्रिप होना देश के हित में है.
1965 और 1971 के युद्धों में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां आपात कालीन हवाई पट्टी की आवश्यकता पड़ी थी. भविष्य में ऐसी स्थितियों की पुनरावृत्ति से बचने के लिए एक्सप्रेस-वे के कुछ हिस्सों को 'हवाई पट्टी' बनाना नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच का नतीजा है. भविष्य में एक्सप्रेस-वे युद्धक विमानों के लिए ईंधन, रडार संचार अवसंरचना और हथियारों का भंडार होगा. अगर केंद्र में मोदी सरकार रहा तो इस प्रकार के एक्सप्रेस वे ओर देखने को मिलेंगे.
चीन फिर से घुसपैठ की ताक में है
गौरतलब है कि 1967 के बाद से सिक्किम सीमा पर चीनी गतिविधि फिर तेज हो गई है. लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के अलावा, चीनी सेना उत्तरी सिक्किम में नाकू ला सीमा पर घुसपैठ करने की बार-बार कोशिश कर रही है. भारतीय सेना ने सर्दी के इस मौसम में भी लाल सेना को जवाब देने के लिये तैयार है. तिब्बत से सटी चुंबी घाटी से लेकर अरुणाचल प्रदेश में किबितु घाटी और लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारे 'ऑपरेशनल अलर्ट' जारी किया गया है. सैन्य सूत्रों के अनुसार, विशेष रूप से तैयार 'स्पेशल फ्रंटियर फोर्स' (एसएसएफ) को सीमा पर तैनात कर दिया गया है, जिन्होंने लद्दाख में चीनी आक्रमण को रोका था.
इसके अलावा, भारत ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका और स्मार्च मल्टी-रॉकेट लॉन्चर, एम-होवित्जर सहित सभी प्रकार के सैन्य उपकरणों और रसद के साथ तैयार है. लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की तरह, सिक्किम सीमा पर चीनी लाल सेना को जवाब देने के लिए हासीमारा हवाई अड्डे पर 'राफेल' तैयार बैठा है. भारत के साथ चीन की 3,488 किलोमीटर सीमा विवादित है. पाकिस्तान ने 1963 में चीन-पाकिस्तान समझौते तहत अक्साई चीन की शाक्सगम घाटी चीन के हवाले कर दी थी, जिसे भारत ने नकारा है. भारत पूरे जम्मू-कश्मीर पर अपना दावा करता है जिसमें अक्साई चीन भी शामिल है. भारत पाकिस्तान-चीन समझौते को अवैध बताता है.
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