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- मोदी की नई टीम: नए...
भूपेंद्र सिंह| आखिरकार केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार की प्रतीक्षा पूरी हुई। इस पहले बड़े विस्तार और साथ ही फेरबदल से यही स्पष्ट हुआ कि नए मंत्रियों के चयन में योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता देने के साथ ही क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का भी विशेष ध्यान रखा गया। लोकतंत्र में ऐसा करना आवश्यक होता है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार के साथ प्रधानमंत्री की टीम कहीं ज्यादा व्यापक आधार वाली और पहले से अधिक सक्षम दिखने लगी है। चूंकि मंत्रिपरिषद में सहयोगी दलों की भागीदारी के साथ ही युवा चेहरों का प्रतिनिधित्व बढ़ गया है इसलिए उसकी औसत आयु पहले से कम दिखने लगी है। खास बात यह भी है कि मंत्रिपरिषद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इसके साथ ही वंचित एवं पिछड़े तबकों की भी हिस्सेदारी बढ़ी है। इसका अर्थ है कि प्रधानमंत्री सोशल इंजीनिर्यंरग पर न केवल काम कर रहे हैं, बल्कि उसे बल भी प्रदान कर रहे हैं। यह उनके लिए अचरज का विषय हो सकता है, जो अभी भी भाजपा को पुराने चश्मे से देखने के अभ्यस्त हैं अथवा सामाजिक न्याय के नाम पर जातियों की गोलबंदी को ही सही मानते हैं।