सम्पादकीय

मोदी की नई टीम: नए मंत्रियों के चयन में योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता, क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का रखा ध्यान

Triveni
8 July 2021 5:51 AM GMT
मोदी की नई टीम: नए मंत्रियों के चयन में योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता, क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का रखा ध्यान
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आखिरकार केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार की प्रतीक्षा पूरी हुई। इस पहले बड़े विस्तार और साथ ही फेरबदल से यही स्पष्ट हुआ कि नए मंत्रियों के चयन में योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता देने के साथ ही क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का भी विशेष ध्यान रखा गया। लोकतंत्र में ऐसा करना आवश्यक होता है।

भूपेंद्र सिंह| आखिरकार केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार की प्रतीक्षा पूरी हुई। इस पहले बड़े विस्तार और साथ ही फेरबदल से यही स्पष्ट हुआ कि नए मंत्रियों के चयन में योग्यता एवं अनुभव को प्राथमिकता देने के साथ ही क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का भी विशेष ध्यान रखा गया। लोकतंत्र में ऐसा करना आवश्यक होता है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार के साथ प्रधानमंत्री की टीम कहीं ज्यादा व्यापक आधार वाली और पहले से अधिक सक्षम दिखने लगी है। चूंकि मंत्रिपरिषद में सहयोगी दलों की भागीदारी के साथ ही युवा चेहरों का प्रतिनिधित्व बढ़ गया है इसलिए उसकी औसत आयु पहले से कम दिखने लगी है। खास बात यह भी है कि मंत्रिपरिषद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इसके साथ ही वंचित एवं पिछड़े तबकों की भी हिस्सेदारी बढ़ी है। इसका अर्थ है कि प्रधानमंत्री सोशल इंजीनिर्यंरग पर न केवल काम कर रहे हैं, बल्कि उसे बल भी प्रदान कर रहे हैं। यह उनके लिए अचरज का विषय हो सकता है, जो अभी भी भाजपा को पुराने चश्मे से देखने के अभ्यस्त हैं अथवा सामाजिक न्याय के नाम पर जातियों की गोलबंदी को ही सही मानते हैं।

मंत्रिपरिषद के विस्तार में कुछ पुराने मंत्रियों की पदोन्नति यह बताती है कि उन्हें उनके बेहतर काम का पुरस्कार मिला। यह मिलना भी चाहिए था, क्योंकि इससे सभी को यह संदेश जाता है कि बेहतर प्रदर्शन मायने रखता है, न कि मीडिया और इंटरनेट मीडिया पर मौजूदगी। इसके बाद भी जिन अनेक मंत्रियों की छुट्टी की गई, उनमें से उनका बाहर होना आश्चर्यजनक है जो एक साथ कई मंत्रालय संभाले हुए थे और सरकार का चेहरा भी माने जाते थे। ऐसे मंत्रियों के बाहर होने को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं, उनका जवाब मिल सके तो बेहतर। चूंकि ऐसे मंत्रियों के बाहर होने का कारण स्पष्ट नहीं, इसलिए कयासबाजी होना स्वाभाविक है। यदि यह कारण स्पष्ट हो सके तो इससे पुराने और साथ ही नए मंत्रियों को संदेश और सबक ग्रहण करने में आसानी होगी। कुछ प्रमुख मंत्रियों को हटाए जाने का कारण जो भी हो, इसमें दो मत नहीं कि नई केंद्रीय मंत्रिपरिषद को तेजी के साथ अपना काम करना होगा। यह इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि अब मोदी सरकार के कार्यकाल में तीन साल ही बचे हैं। इस शेष कार्यकाल में टीम मोदी को इसलिए और भी तत्परता दिखानी होगा, क्योंकि कोरोना ने बहुत सा समय बर्बाद करने के साथ ही मोदी सरकार के एजेंडे को जमीन पर उतारने में बाधाएं भी खड़ी कर दी हैं। इन बाधाओं को दूर करने में सफलता तभी मिलेगी, जब नए-पुराने मंत्री न केवल सरकार की, बल्कि आम जनता की अपेक्षाओं पर भी खरे उतरेंगे।


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